Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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पूर्ण स्वराज दिवस की जयन्ती - गणतन्त्र दिवस

 

जैसा हम सभी जानते हैं कि स्वतंत्रता दिवस के दिन भारत को अंग्रेजों की लंबी गुलामी से आजादी मिली थी जबकि गणतंत्र दिवस के दिन भारत गणतंत्र देश बना क्योंकि उसी दिन से "भारत सरकार अधिनियम 1935" की जगह भारत का लिखा हुआ संविधान लागू हुआ अर्थात पूर्ण स्वराज दिवस (26 जनवरी 1930) को ध्यान में रखते हुए 26 जनवरी 1950 को सुबह 10.18 मिनट पर भारत का संविधान लागू कर देने के पश्चात हम पूर्ण रूप से स्वाधीन हो गए और उसी दिन से भारत में जनता के द्वारा, जनता के लिए शासन पद्धति लागू कर दी गयी। इसी कारण से हम सभी 26 जनवरी को गणतन्त्र दिवस के रूप में मनाते हैं।इस बार भी हम 26 जनवरी को हमारा 73वां गणतन्त्र दिवस मना रहे हैं। 


हमें गर्व है की हम सभी इस गणतांत्रिक देश के निवासी हैंजिसे सरल शब्दों में प्रजातंत्रलोकतंत्र या जनतंत्र भी कहा जाता है अर्थात भारत देश में शासन की बागडोर केवल उसी के हाथो में सौंपी जाती है जिसे चुनने का सम्पूर्ण रूप में अधिकार केवल प्रजा के पास होता है। प्रजा का कर्त्तव्य है की संविधान में दिए कर्तव्यों का पालन करते हुए और अपने अधिकारों की रक्षा हेतु वह एक ऐसे प्रतिनिधि का चुनाव करे जो सदैव देश की सेवा को सर्वोपरि रख प्रजाहित में निर्णय ले और आवश्यकतानुसार समय समय पर संविधान में जरुरी संशोधन कर उसे वर्तमान समय के अनुरूप बनाये।इसी तथ्यानुसार इस बार के गणतन्त्र दिवस समारोह में निम्न बदलाव आपको देखने मिलेंगे - 

१] सरकार ने निर्णय किया है कि इसी साल से, २३ जनवरी १८९७ को जन्मे नेताजी सुभाष चंद्र बोस की १२५वीं जयन्ती वर्ष से, अब तक गणतन्त्र दिवस समारोह का औपचारिक आयोजन जो 24 जनवरी से शुरू होता था वह अब हर साल २३ जनवरी से शुरू हो जायेगा । 

२] इसके अलावा इस बार रक्षा मंत्रालय ने  गणतन्त्र दिवस समारोह [परेड] देखने का मौका देने के लिए दर्शक दीर्घा में कुछ सीटें मजदूरों, सफाईकर्मियों और रिक्शा / ऑटो चालकों के लिए भी आरक्षित रखी है।

३] साथ ही साथ इस बार गणतन्त्र दिवस समारोह [परेड] देखने के लिए जारी होने वाले निमंत्रण पत्र के साथ अश्वगंधा, घृत कुमारी / ग्वारपाठा [एलोवेरा] और आंवले जैसे औषधीय पौंधों के बीज दिये जायेंगे ताकि लोग अपने घरों में गमलों में उगा इन पौधों के औषधीय गुणों का लाभ उठा सकें।

४] कोरोना महामारी की तीसरी लहर के चलते इस बार गणतंत्र दिवस समारोह में दर्शकों की संख्या को और सीमित करते हुये 5 से 8 हजार की जा रही है लेकिन गत बार की तरह इस बार भी राजपथ के दोनों ओर पांच-पांच  विशाल चित्रपट [एलईडी स्क्रीन ] लगाई जायेंगी, ताकि सामाजिक दूरी के नियमों के तहत समारोह स्थल से दूरी पर बैठे लोग भी आयोजन को देख सकें।

५] इस बार समारोह स्थल पर दो खुराक ले चुके वयस्कों को ही अनुमति दी जायेगी जबकि 15 साल से कम उम्र के बच्चों को अनुमति नहीं होगी।इसके साथ दर्शकों के शरीर का तापमान भी देखा जाएगा और मुखौटा पहनना अनिवार्य रहेगा । साथ ही जगह जगह हाथों को स्वच्छ करने हेतु रसायन [सैनिटाइजर] की व्यवस्था भी उपलब्ध रहेगी।  

६] 75 साल में पहली बार इस बार सलामी उड़ान [फ्लाईपास्ट] की दृश्यता के मद्देनजर गणतन्त्र दिवस समारोह [परेड] १0 बजे की बजाय १0.३0 बजे यानि आधा घंटा देरी से शुरू होगा।

७] इस बार झाँकियों को लाल किले तक ही ले जाकर सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए खड़ा कर दिया जायेगा।

८] इस बार गणतंत्र दिवस के औपचारिक समापन समारोह में करीब दस मिनट तक चलने वाले एक अनूठे कार्यक्रम में लगभग एक हजार चालकहीन वायुयान के प्रदर्शन [ड्रोन शो ] का भी आयोजन, एक अभिनव व्यापार संगठन [स्टार्टअप कंपनी ] के सहयोग से  होगा।

९] गणतंत्र दिवस आयोजन के औपचारिक समापन पर तीनों सेनाओं  द्वारा एक साथ मिलकर जो  सामूहिक बैंड वादन वाला कार्यक्रम आयोजित किया जाता है उसमें से इस बार पारम्परिक  ईसाई गान ‘अबाइड विद मी’ की धुन को हटा कर  इसके बदले में आध्यात्मिक गुरू विद्या नरसिम्हा भारती द्वारा  'स्वर मौली' की उपाधि से सम्मानित स्वर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का देशभक्ति से सराबोर गाया गया हिन्दी गीत ‘ऐ मेरे वतन के लोगों’ की धुन को शामिल किया गया है । 

१०] गणतंत्र दिवस के औपचारिक समापन समारोह के समय पर ही आजादी की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में राष्ट्रपति भवन के दोनों ओर स्थित खूबसूरत इमारतों की प्राचीरों पर पहली बार एक  प्रकाशपुंज प्रदर्शित [लेजर शो] किया जाएगा । 

जैसा सर्वविदित है कि हर बार हम हमारे गणतंत्र दिवस समारोह के मौके पर किसी न किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष या शासनाध्यक्षको मुख्य अतिथि के रूप में अपने रणनीतिक, राजनयिक, व्यावसायिक हित और भू-राजनीति आदि में अपने रणनीतिक, राजनयिक, व्यावसायिक हित और भू-राजनीति आदि कारकों का ध्यान रख, आमन्त्रित करते हैं। भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि के रूप में आने का निमंत्रण विदेशी गणमान्यों के लिए एक विशेष सम्मान है लेकिन लगातार दूसरी बार कोविड-19 के बढ़ते मामलों के मद्देनज़र, इस बार भी विदेशी मेहमान मुख्‍य अतिथि के रूप में इस समारोह में शामिल नहीं होंगे। 

वैसे तो आप सभी गणतन्त्र दिवस के बारे में बहुत कुछ जानते ही हैं फिर भी निम्न चार महत्वपूर्ण तथ्य आप सभी प्रबुद्ध पाठकों के ध्याननार्थ प्रस्तुत कर रहा हूँ - 

1] स्वतन्त्रता दिवस के अलावा गणतंत्र दिवस के मौके पर भी परमवीर चक्र, अशोक चक्र, महावीर चक्र, कीर्ति चक्र, वीर चक्र और शौर्य चक्र जैसे महत्वपूर्ण सम्मान दिए जाते हैं।                      

2] 1957 में सरकार ने बच्चों के लिए राष्ट्रीय बहादुरी / वीरता  पुरस्कार शुरू किया था। आज के समय में यह पुरस्कार 6 से 18 वर्ष तक की आयु के बच्चों को अलग-अलग क्षेत्र में बहादुरी के लिए गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर प्रदान किया जाता है।                                                 

3 ] सर्वश्रेष्ठ सैनिकों के पथ संचलन का पारितोषिक [ ट्रॉफी ] देने के लिए पूरे रास्ते में कई जगहों पर जजों को बिठाया जाता है। ये जज प्रत्येक दल को 200 मापदंडों पर अंक देते हैं। इसके आधार पर सर्वश्रेष्ठ दस्ते का चुनाव होता है। किसी भी दल के लिए इस पारितोषिक [ ट्रॉफी ] को जीतना बड़े गौरव की बात होती है।                                                                              

4 ] गणतंत्र दिवस आयोजन की जिम्मेदारी रक्षा मंत्रालय की होती है। आयोजन में लगभग 70 अन्य विभाग व संगठन रक्षा मंत्रालय की मदद करते हैं। परेड के सुचारू संचालन के लिए सेना के हजारों जवान समेत अलग-अलग विभागों के भी काफी संख्या में लोग लगाए जाते हैं।

उपरोक्त सभी तथ्यों से यह स्पष्ट है कि 26 जनवरी वाला दिन हमें हमारे संविधान का महत्व तो  समझाता ही है साथ ही साथ यह पर्व न केवल हमें पूर्ण स्वतंत्रता की अनुभूति कराता है बल्कि हमारे अंदर आत्मगौरव भी भरता है। इन्हीं सब कारणों से इस दिन को सम्पूर्ण देश भर में हर स्तर पर पूरे धूम-धाम तथा हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है।
गोवर्धन दास बिन्नाणी "राजा  बाबू"जय नारायण व्यास कॉलोनी,बीकानेर7976870397 / 9829129011

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