प्रकाशनार्थ :समझदारी से काम लें, हृदय की देखभाल करें
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यह मानव शरीर परमपिता परमेश्वर की अनमोल संरचना है।इस मानव शरीर का मूल्य आप आँक ही नहीं सकते । जैसा हम सभी जानते हैं कि जब इन्सान माँ के पेट में होता है तभी से हृदय धड़कना शुरू कर देता है और इंसान की मृत्यु होने पर ही इसकी धड़कन बंद होती है।
हम थकावट होने पर आराम करते हैं। रात को सोते हैं लेकिन हमारा हृदय लगातार धड़कता रहता है। हृदय ने धड़कना बंद किया तो जिंदगी का खेल खत्म।
तो हमारी भी जिम्मेवारी बनती है कि हमारे शरीर के इतने महत्वपूर्ण अंग का हम भी ख्याल रखें।
वर्तमान समय में खान-पान और तनाव भरे जीवन के कारण हृदयाघात के मामले बहुत ज्यादा बढ़ गए हैं। बाजार में तैयार किये हुये खाने वाले पदार्थ जिसे हम फास्ट फूड कहते हैं का इसमें सबसे ज्यादा योगदान है।
एक बात तो सबको पता है हम फटफटिया चलाते समय रक्षा की दृष्टि से सिर पर पहनने वाला टोप इसलिए पहनते हैं ताकि कोई दुर्घटना की स्थिति में हमारा सिर सुरक्षित रहे।
बिल्कुल ऐसे ही हमारी जिम्मेवारी बनती है कि हम हमारे हृदय की भी ऐसे ही देखभाल करें।ह्रदय प्रतिचय [हार्ट ब्लॉकेज ] धीरे-धीरे होता है जिसका हमें पता ही नहीं चलता।बाद में जिसके घातक परिणाम दिल का दौरा [ हार्ट अटैक ] के रुप में आता है।
ह्रदय प्रतिचय से बचाव के लिए आपको अपने जीवनशैली में बदलाव लाना बेहद जरूरी है। इस समस्या से राहत पाने के लिए आप पित्तसांद्रव मोम [कोलेस्ट्रोल ] को कम करें। तैलीय पदार्थों से दूर रहें। अधिक देर तक एक ही जगह पर न बैठे रहें। उच्च रक्तचाप [ हाई ब्लड प्रेशर ] को नियंत्रित रखें साथ ही सिगरेट पीने की आदत तो जल्द से जल्द छोड़ें। यही नहीं वजन नियंत्रित रखने के साथ ही हाइपरकोलेस्ट्रोमिया और मधुमेह को भी कम करें यानि रक्त में शर्करा का उच्च स्तर को नियंत्रित रखें । नियमित व्यायाम कर ह्रदय प्रतिचय के खतरे को कम किया जा सकता है।नियमित व्यायाम के अलावा रोजाना 2 से 3 किलोमीटर पैदल चलना साथ ही सूर्य नमस्कार भी लाभदायक माना जाता है।
इसलिए दिल के मरीजों को अपने जीवनशैली में सुधार लाना काफी जरूरी होता है। अगर समय रहते (खासकर 40 की उम्र के बाद) हम समझदारी से काम लें तो हृदयाघात की समस्या से बचा जा सकता है।
गोवर्धनदास बिन्नाणी 'राजा बाबू 'बीकानेर
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