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सावधान! रेलवे फाटक पर रुकिए

 

रतिष्ठा में,

     संपादक महोदय जी,

    आपके प्रतिष्ठित समूह  में  आलेख - सावधान! रेलवे फाटक पर रुकिए, देखिए तब जाइए सम्प्रेषित कर रहा हॅूं। यह मेरी मौलिक, अप्रकाशित एवं अप्रसारित कृत्ति हैं। कृपया इसे  प्रकाशित करने का कष्ट करेगें।

     मैं आपका सदैव आभारी रहूंगा।


आपका कृपाकांक्षी

 हेमेन्द्र क्षीरसागर, 

 पत्रकार व लेखक, स्तंभकार 

भटेरा चौकी वार्ड न. 02 बालाघाट, 

जिला बालाघाट मप्र 481001.

 9424765570,

Whatsapp- 9174660763

Facbook, Twitter, Bloger & Email- hkjarera@gmail.com

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सावधान! रेलवे फाटक पर रुकिए, देखिए तब जाइए

हेमेन्द्र क्षीरसागर, पत्रकार व लेखक, स्तंभकार

याद रहे! समय है बहुमूल्य पर जीवन है अनमोल। बंद रेल फाटक को पार करने का प्रयास जोखिम भरा और जुर्म भी है। यथा रेल फाटक पर सब्र रखें, सतर्क रहें। आपका परिवार घर पर इंतजार कर रहा है। आप किसी के लिए भला कुछना हो लेकिन आप अपने परिवार के लिए सब कुछ हो। कदापि बंद रेलवे फाटक को क‍िसी भी स्थित‍ि में पार न करें। चाहे कोई हो मजबूरी, बंद रेलवे फाटक पार करना नहीं है जरूरी। कवायद रेलवे ने संबंधी गेटमैन को आदेश दे रखा हैं क‍ि फाटक बंद करने के बाद केबिन से बाहर निकल आएंं और फाटक के बीच खड़े होकर दोनों ओर खड़े लोगों से बंद फाटक को क्रास न करने की अपील करें।  रेलवे प्रशासन फाटक पर जागरूकता के लिए पोस्टर भी लगे हुए है। बावजूद हमारी जल्दबाजी के चक्कर में जागरूकता रफू चक्कर हो रही है। 

दरअसल, रेलवे फाटक बंद होने का मकसद यही होता है कि ट्रेन किसी भी समय आ सकती है, लोग सावधान हो जाएं। जैसा कि हम जानते है कि ट्रेन गुजरने से पहले लोगों की सुरक्षा के लिए फाटक बंद किए जाते हैं। ट्रेन आने से कितने समय पहले और कितनी देर तक रेलवे फाटक बन्द करने का नियम होता है? ट्रेन आने से लगभग दस मिनट पहले रेलवे फाटक बंद किया जाता है। रेलगाड़ी पूरी तरह से गुजर जाने के लगभग दो -तीन मिनट के बाद रेलवे फाटक खोल दी जाती है। लेकिन इसके बावजूद भी कुछ लोग इन सब बातों को दरकिनार करते हुए बंद फाटक के नीचे से निकलने का प्रयास करते हैं। इनमें साइकिल, स्कूटर, बाइक सवार ही नहीं बल्कि पैदल चलने वाले बुजुर्ग, महिलाएं व स्कूली बच्चे भी शामिल होते हैं। जल्दबाजी में ये लोग यह भूल जाते हैं कि उनकी नासमझी उन्हें मंहगी पड़ सकती है।

अप्रिय, कई बार तो रेल बिलकुल समीप होने पर भी वे फाटक को पार करने से परहेज नहीं करते। कानून का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ न ही स्थानीय प्रशासन कुछ करने के मूड में नजर आ रहा है और न ही रेलवे प्रशासन की ओर से कोई कदम उठाएं जा रहे है। रेलवे विज्ञापन इत्यादि के जरिए तो लोगों को बंद फाटक पार न करने के लिए जागरुक करता है और ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की चेतावनी की बात कही जाती है। एक आदमी को देखकर अन्य भी फाटक बंद होने के बावजूद नीचे से गुजरने लगते हैं। आखिर! सब कुछ जान के भी खुद खतरे में क्यूं डालते हैं जान…?

लिहाजा, रेलवे नियमों के अनुसार बंद फाटक के नीचे गुजरना अपराध है। ऐसा करने वालों पर रेलवे एक्ट की धारा 147 के तहत मामला दर्ज जाता है। छह महीने की कैद व 500 रुपये जुर्माने अथवा दोनों एक साथ का प्रावधान है। रेलवे ने लोगों के लिए खास सुझाव दिया गया है कि यदि वह कभी भी रेलवे फाटक के पास जाए तो चौकीदार के ऊपर यह दबाव न बनाएं कि वह फाटक को खोल दे। यदि वह ऐसा करते हैं तो सजा के पात्र होंगे। बनिस्बत हमें गेटमैन को अक्लमंदी से सहयोग करना चाहिए। स्थिति को रोकने के लिए रेलवे को एक पाइप का फाटक नहीं अपितु जाली नुमा आकर की फाटक लगाना चाहिए। ताकि नीचे से गुजरने की कोई गुंजाइश ही ना बचे। बेहतर हम सब मिलकर यह संकल्प ले की बंद रेलवे फाटक को पार करने से बचे।  येही अभिकल्पना हमें, अपने परिवार और समाज को बचाएगी। सावधान! रेलवे फाटक पर रुकिए, देखिए तब जाइए। तभी हमारी समझदारी, सावधानी जरूरी और जिम्मेदारी से राष्ट्र की जीवन रेखा रेलवे बनेगी हितकारी।

हेमेन्द्र क्षीरसागर, पत्रकार व लेखक, स्तंभकार



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