आंसूओं का रंग गहरा नही होता
मिट जाते हैं निशाँ कुछ देर के बाद !
किसने किसको कब कैसे था कुचला
भूल जाता है ये जहां कुछ देर के बाद!
जावेद उस्मानी
( बालिका शेल्टर होम - मुजफ्फरपुर से बालिका शेल्टर होम कानपुर तक)
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आंसूओं का रंग गहरा नही होता
मिट जाते हैं निशाँ कुछ देर के बाद !
किसने किसको कब कैसे था कुचला
भूल जाता है ये जहां कुछ देर के बाद!
जावेद उस्मानी
( बालिका शेल्टर होम - मुजफ्फरपुर से बालिका शेल्टर होम कानपुर तक)
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