Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

अपना तो यही जहाँ !

 

जाने जाँ  चले वहाँ
हो जहां नया जहाँ!
करेंगे क्या जा वहाँ
जो यहॉं वही वहाँ!
जीये यहाँ जाना कहाँ
अपना तो यही जहाँ!
गमे जाँ,की हर दास्ताँ
जुबाँ करे क्या बयाँ!
है दुआ , बदले समाँ
पहले सा हो आस्मां!
हो सब रुके दूरियाँ रवाँ
बस चल पड़े ये कारवाँ!
 जावेद उस्मानी

 ( महामारी , सियासत और अवाम युगलबंदी )

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ