"इनसे भले तो डकैत हैं
" वह कैसे ?
" अरे भाई कम से कम गरीबो के घर डाका नही डालते है और इनको देखो अमीरों को सजदे करते है और गरीबो को लूटते है , मज़दूर का मेहनताना , गरीबो की मदद के लिए फंड यहॉं तक की बेसहारा लोगो को मिलने वाली तरह तरह की पेंशन तक का एक हिस्सा हड़प लेते है .
" बात तो सही है लेकिन इसीलिए तो बचे हुए है , अगर अमीरों से पंगा लेते तो डकैत की तरह पकड़े या मारे न जाते .
जावेद उस्मानी
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