Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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सूना सूना सा आसमानों का डेरा है

 

पंख   कटे  हैं , परवाज़  रुकी     हैं
 सूना सूना सा आसमानों का डेरा है!

 न चहचहाटें न परों की फड़फड़ाहटे
 हर ओर  जैसे खामोशी का बसेरा है!

 गुलों की खुश्बू न गुंचों की खिलखिलाहटें
 मुरझायी शाखों वाला क्या ये बाग मेरा है!

  दूर तलक नही है कहीं रौशनी की आहटें
अंधेरी राते हैं , जाने कहाँ गुम सबेरा है !
  जावेद उस्मानी

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