| Feb 26, 2020, 8:04 PM (7 days ago) |
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इन लबों पर बताओ ज़रा,
वो बेपरवाह हँसी ला सकते हो.....
मुझे बस इतना बता दो....
क्या तुम वापस आ सकते हो??
गुमनाम सा एक अक्स लिए
फिरती हूँ दर ब दर....
किस मंजिल को तलाशती हूँ,
क्या तुम बता सकते हो.....
मुझे बस इतना बता दो....
क्या तुम वापस आ सकते हो??
अँधेरी रातों के यह गहरे साए...
मुझे कुछ ना समझ आते हैं
कोई तो तुम्हारा पता बताए...
इस आस में नैन मेरे भटकते हैं....
हालत मेरी मुझे तुम समझा सकते हो.....
मुझे बस इतना बता दो.....
क्या तुम वापस आ सकते हो??
हाँ...सब कुछ है पास मेरे.....
फिर भी एक खालीपन क्यों है....
परवाह नहीं है साँसों की मुझे....
जिंदा हूँ तेरी यादों से आज तक .....
कैसे तुमको वापस पाऊँ??
क्या तुम मुझे बता सकते हो.....
मुझे बस इतना बता दो.....
क्या तुम वापस आ सकते हो???
खो गईं हैं मेरी मंजिलें सारी....
क्या तुम फिर वो राहें दिखा सकते हो....
उन्हीं खुशियों के उजाले ....
फिर मेरी जिंदगी में फैला सकते हो........
मुझे बस इतना बता दो........
क्या तुम वापस आ सकते हो????
सुनो..............
मुझे बस इतना बता दो......
क्या तुम वापस आ सकते हो????
****ज्योत्स्ना मिश्रा 'सना'
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