नारी
-----------------------
तुम जननी, तुम जाया हो,
तुम भगिनी, तुम भार्या हो,
तुम धरित्री, तुम प्रकृति,
तुम विश्व-स्वरूपा हो |
तुम ही वो धुरी,
जिसपर ब्रह्मांड टिका है,
फिर क्यों आगे किसी के
तेरा अस्तित्व झुका है |
तुने ही बनाया
मानव को महान,
तुझसे ही है सारे
रिश्तों की पहचान |
हर सफल गाथा के पीछे
है तेरी ही कहानी
नहीं है तु कोई अबला,
न लाना कभी आँखों पानी |
चलते-चलते पल भर ठहर
देख खुद को भी इक नज़र,
तेरा जीवन तेरा भी हो
खुद से इतना तो न्याय कर |
हर हसरत, हर ख्वाहिश
को अपने दे सम्मान,
दुनिया की इस भीड़ में
बना खुद अपनी पहचान|
तुम शक्ती हो, तुम भक्ती हो,
तुम श्रद्धा हो सम्मान हो,
मत भूलना कभी तुम
सबसे पहले तुम इंसान हो |
****ज्योत्स्ना मिश्रा 'सना'
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY