Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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नारी

 

नारी

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तुम जननी, तुम जाया हो,

तुम भगिनी, तुम भार्या हो,

तुम धरित्री,  तुम प्रकृति,

तुम विश्व-स्वरूपा हो |

तुम ही वो धुरी,

जिसपर ब्रह्मांड टिका है,

फिर क्यों आगे किसी के

तेरा अस्तित्व झुका है |

तुने ही बनाया

मानव को महान,

तुझसे ही है सारे

रिश्तों की पहचान |

हर सफल गाथा के पीछे

है तेरी ही कहानी

नहीं है तु कोई अबला,

न लाना कभी आँखों पानी |

चलते-चलते पल भर ठहर

देख खुद को भी इक नज़र,

तेरा जीवन तेरा भी हो

खुद से इतना तो न्याय कर |

हर हसरत, हर ख्वाहिश 

को अपने दे सम्मान,

दुनिया की इस भीड़ में

बना खुद अपनी पहचान|

तुम शक्ती हो,  तुम भक्ती हो,

तुम श्रद्धा हो  सम्मान हो,

मत भूलना कभी तुम

सबसे पहले तुम इंसान हो |

****ज्योत्स्ना मिश्रा 'सना'

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