Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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कितना ज्यादा मुश्किल होता होगा ना

 

कितना ज्यादा मुश्किल होता होगा ना,
जब ख़ुद का दिल बुज़दिल होता होगा ना

ऐसे तो दुश्मन वार नहीं कर सकता,
कोई अपना शामिल होता होगा ना

साँसों के रुक जाने से जो खुलता है,
आख़िर वो ही मंज़िल होता होगा ना
मैंने भी तो दिल का रस्ता छोड़ दिया,
दिल का रस्ता मुश्किल होता होगा ना  

अपना कोई हाथ छुड़ा कर जाए तो
आँखों में सब झिलमिल होता होगा ना

तू तो उसमें शायर बन कर रहता है
वो भी तुझमें महफ़िल होता होगा ना

आँख समंदर जितना ही तो गहरा है,
इसमें भी तो साहिल होता होगा ना

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