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आचार्यश्री की शिक्षाओं को अमल में लाना ही

 

लिमटी की लालटेन 606

आचार्यश्री ने देश को जो रहा दिखाई वह सदियों तक बनी रहेगी लोगों के लिए नज़ीर . . .

आचार्यश्री की शिक्षाओं को अमल में लाना ही उनके पथ पर चलने का सही तरीका . . .

(लिमटी खरे)

विश्व भर में वंदनीयप्रखर तपस्वीगहन चिंतककठोर साधक 108 आचार्य विद्यासागर महाराज जिन्हें इसी साल 11 फरवरी को गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्डस के द्वारा ब्रम्हांण के देवता के रूप में सम्मानित किया गया थासंलेखना के उपरांत उनके देवलोकगमन की खबर से समूचे देश में शोक की लहर व्याप्त है।

आचार्य विद्यासागर महाराज का जन्म 10 अक्टूबर 1946 को कर्नाटक प्रदेश के बेलगांव लिे के सदलगा कस्बे में शरद पूर्णिमा के दिन हुआ था। आपके पिता मलप्पा जो बाद में मुनि कल्लिसागर के रूप में जाने गए एवं माता श्रीमंति जो बाद में आर्यिका समयमति के रूप में जानी गईं के द्वारा आचार्यश्री का नाम विद्याधर रखा था। आपने 30 जून 1968 को 22 वर्ष की आयु में आचार्य शांतिसागर महाराज के शिष्य आचार्य ज्ञानसागर महाराज से अजमेर में दीक्षा ली। आपको 22 नवंबर 1972 को राजस्थान के अजमेर जिले के नसीराबाद में आचार्य पद दिया गया। आपकी मातृभाषा कन्नड़ होने के बाद भी हिन्दीसंस्कृत और अन्य भाषाओं पर आपकी जबर्दस्त पकड़ थी। आपने अपनेक भाषाओं में रचनाएं लिखी हैं। आपकी अनेक रचनाएं पाठ्यक्रम में शामिल भी की गई हैं।

आचार्यश्री के द्वारा जिस तरह का कठोर तप किया गया है वह वास्तव में अनुकरणीय ही माना जा सकता है। आपने जीवन पर्यन्त के लिए चीनीनमकदहीसूखे मेवेतेलहरी सब्जियोंफलअंग्रेजी औषधियोंभौतिक साधनोंचटाई आदि का त्याग किया गया था। आप देश भर में सबसे ज्यादा दीक्षा देने वाले संत हैं। आपका पूरा परिवार ही संयंम के साथ मोक्षमार्ग पर चल रहा है। आप एक करवट ही शयन करते थे और सख्त तखत पर ही विश्राम किया करते थे। आचार्यश्री के शरीर से निकलने वाला तेज और कान्ति अद्भुत ही प्रतीत होती थी।

इस आलेख को वीडियो में देखने के लिए क्लिक कीजिए . . .

https://www.youtube.com/watch?v=a9AFiQ_U-hg

आचार्य परंपरा के बारे में विद्यासागर डॉट गुरू नाम की वेब साईट पर पांच आचार्यों का उल्लेख मिलता है। इस में सबसे पहले आचार्य शांतिसागर महाराज के बारे में बताया गया है कि उनका मूल नाम सातगौड़ा पाटिल था और आपका जन्म कर्नाटक के बेलगांव के येलगुल गांव में 25 जुलाई 1872 को हुआ था। आपको गुरूदीक्षा मुनिश्री देवेंद्र कीर्ति महाराज के द्वारा दी गई थी एवं आचार्य पद 08 अक्टूबर 1924 को महाराष्ट्र के सांगली जिले के समडोली गांव में दिया गया था।

इसके उपरांत आचार्य वीरसागर महाराज के बारे में जो उल्लेख मिलता है उसके अनुसार आपका जन्म 1876 में महाराष्ट्र के औरंगाबाद के ईरगांव में हुआ था आपका मूल नाम हीरालाल गंगवाल था। आपको गुरूदीक्षा आचार्य शांतिसागर महाराज के द्वारा दी गई और आपको आचार्य पद 08 सितंबर 1955 को राजस्थान के जयपुर में चूलगिरी में दिया गया था।

आचार्य वीरसागर महाराज के उपरांत आचार्य शिवसागर महाराज का उल्लेख मिलता है जिनका जन्म 1901 में महाराष्ट्र के औरंगाबाद के अड़गांव में हुआ था। आपका मूल नाम हीरालाल रांवका था और आपको आचार्य वीरसागर महाराज के द्वारा दीक्षित किया गया था। आपको आचार्य पद जयपुर के राजस्थान के चूलगिरी में 03 नवंबर 1957 को प्रदान किया गया था।

इस वेब साईट पर चौथे नंबर पर आचार्य ज्ञानसागर महाराज का उल्लेख मिलता है। आचार्य ज्ञानसागर महाराज का मूल नाम भूरामल शास्त्री था और आपका जन्म 24 अगस्त 1897 में राजस्थान के सीकर जिले के राणोली ग्राम में हुआ था। आपको गुरूदीक्षा आचार्य शिवसागर महाराज के द्वारा दी गई और आपको राजस्थान के अजमेर जिले के नसीराबाद में 07 फरवरी 1969 को आचार्य पद प्रदान किया गया था।

इस वेब साईट पर पांचवे स्थान पर आचार्य विद्यासागर महाराज का उल्लेख है। आचार्य विद्यासागर महाराज की शिक्षाएं संपूर्ण विश्व के लिए प्रेरणा देने वाली ही मानी जा सकती हैं। आचार्यश्री की सहजताकठोर तपगहन चिंतन का ही प्रभाव था कि लोगों के मन में उनके प्रति अगाध श्रृद्धा की भावना थी। बड़े से बड़ा ओहदेधारी राजनेता हो या गरीब गुरबाहर कोई आचार्यश्री की एक झलक पाने को लालायित ही रहा करता था।

आचार्यश्री के प्रवचनउनका विहार आदि सब कुछ सोशल मीडिया पर लोगों के आकर्षण का केंद्र बना रहता है। आचार्यश्री के देवलोकगमन करने की खबर शनिवार और रविवार की दर्मयानी रात में तीसरे प्रहर जैसे ही सोशल मीडिया पर आईवैसे ही सोशल मीडिया पर उन्हें श्रृद्धांजलि देने का तांता लग गया। लोग उनके वीडियोफोटो सोशल मीडिया पर लगातार ही शेयर करते रहे। रविवार को पौ फटने तक सोशल मीडिया आचार्यश्री के फोटोवीडियो आदि से पट चुका था। आचार्यश्री के द्वारा दिए गए उपदेशों को अगर हम अपने जीवन में आत्मसात कर लें तो हमें परमात्मा से मिलने से शायद ही कोई रोक पाए . . . समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया परिवार आचार्यश्री के श्रीचरणों में सादन नमन करता है।

लिमटी की लालटेन के 606वें एपीसोड में फिलहाल इतना ही। समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया की साई न्यूज में लिमटी की लालटेन अब हर रोज सुबह 07 बजे प्रसारित की जा रही है। आप समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया की वेब साईट या साई न्यूज के चेनल पर जाकर इसे रोजाना सुबह 07 बजे देख सकते हैं। अगर आपको लिमटी की लालटेन पसंद आ रही हो तो आप इसे लाईकशेयर व सब्सक्राईब अवश्य करें। हम लिमटी की लालटेन का 607वां एपीसोड लेकर जल्द हाजिर होंगेतब तक के लिए इजाजत दीजिए . . .

(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)

(साई फीचर्स)

 

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