जिले में आ पहुँचे मेहमान परिंदे
(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। शीत ऋतु के आगमन के साथ ही देश और परदेश से परिंदों का सिवनी आना आरंभ हो गया है। कोई हिमालय की तराई से आ रहा है तो यूरोप, चीन जैसे उत्तरीय ठण्डे क्षेत्रों से आने वाले पक्षियों की भी कमी नहीं है।
हाँ, ये बात अलग है कि जिले में मौजूद तालाबों के आसपास ज्यादा चहल - पहल होने से कुछ माइग्रेटरी बडर््स शहर के बाहर के तालाबों और खेतों में अपना डेरा बनाये हुए हैं। शहर हो या शहर के आसपास के स्थान, इन विदेशी पक्षियों की मेहमाननवाजी करने शहर तैयार है।
छः माह तक रहेगा वास : जानकारों का कहना है कि जिले के तालाबों और जलाशयों में माइग्रेटरी बडर््स दशकों से जिले में पहुँच रहीं हैं। ब्राउन हैडेड और ब्लैक गल नामक ये पक्षी हिमालय की तराई वाले स्थानों के साथ ही लेह, लद्दाख से चलकर आते हैं। मध्य भारत और दक्षिण भारत के क्षेत्रों में जहाँ भी इन्हें अपने लिये अनुकूल माहौल मिलता है वहाँ ये ठहर जाते हैं।
जानकार बताते हैं कि ये गल जलचर हैं। भीमगढ़ सहित अन्य तालाबों में इन्हें पानी की पर्याप्त मात्रा के साथ ही भोजन भी मिलता है इसलिये ये हर साल यहाँ ठण्ड के दिनों से छरू माह तक रहते हैं। गर्मी आरंभ होते ही ये वापस अपने क्षेत्रों की और लौटने लगते हैं।
अन्य प्रदेशों और विदेश से आने वाले ये पक्षी दलसागर, भीमगढ़ बाँध, रूमाल जलाशय, बिजना जलाशय, बरगी बाँध के डूब क्षेत्र सहित अनेक जल संग्रहण क्षेत्रों में आसानी से दिख जाते हैं। शीत ऋतु में इन क्षेत्रों में बर्ड वॉचर अपने कैमरे में कैद करने के लिये सुबह शाम घूमते हुए देखे जा सकते हैं।
जानकारों का कहना है कि बर्बलर्स नामक चिड़िया गौरैया से भी छोटी होती है और इसकी 06 से 07 प्रजातियां यहाँ दिखती हैं। इसके साथ ही रेड स्टार्ट, वेडर्स व वेगटेल्स बडर््स भी शहर आ पहुँची हैं। अनेक पक्षी चीन और यूरोपियन देशों से अनुकूल माहौल खोजते हुए शहर पहुँचे हैं।
हजारों किलोमीटर की यात्रा : पक्षी विशेषज्ञ और बर्ड वॉचर्स ने जानकारी देते हुए बताया कि ये पक्षी हजारों किलोमीटर दूर से चलकर आते हैं लेकिन ये पक्षी इतनी लंबी यात्रा कैसे कर लेते हैं इस बारे में अभी तक कोई भी रिसर्च पता नहीं कर पायी है। पक्षी प्रेमियों के साथ वैज्ञानिकों के बीच भी यह बड़ी उत्सुकता का विषय हमेशा से रहा है लेकिन अभी तक इनकी यात्रा का रहस्य नहीं पता चल पाया है।
कुछ लोग मानते हैं कि ये लैंड मार्क पहचान लेते हैं तो कुछ का कहना है कि मैग्नेटिव वेव्स को पकड़कर चलते हैं। एक माह के सफर के बाद ये शहर पहुँच पाते हैं। चलते झुण्ड में हैं लेकिन फिर बिखर जाते हैं और जाते समय फिर झुण्ड में ही वापस लौटते हैं।
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हीरा आसवानी को बिसार दिया जिला काँग्रेस ने!
जिला काँग्रेस अध्यक्ष रहते हुए 14 को हीरा आसवानी हुए थे ब्रह्मलीन
(संजीव प्रताप सिंह)
सिवनी (साई)। जिला काँग्रेस के अध्यक्ष रहे स्व.हीरा आसवानी की पांचवीं पुण्य तिथि पर जिला काँग्रेस उन्हें श्रृद्धासुमन अर्पित करेगी, इस संबंध में काँग्रेस के द्वारा विज्ञप्ति जारी नहीं किये जाने को लेकर तरह - तरह की चर्चाओं का बाजार गर्मा गया है।
ज्ञातव्य है कि वर्ष 2016 में 14 नवंबर को तड़के हीरा आसवानी के सीने में दर्द उठा था। उन्हें निजि अस्पताल ले जाया गया था जहाँ उन्होंने अंतिम सांस ली थी।
मिलनसार और मददगार व्यक्तित्व के धनी रहे हीरा आसवानी अपनी मित्र मण्डली की जान हुआ करते थे। वे काँग्रेस के कद्दावर नेता स्व.हरवंश सिंह के बेहद करीबी हुआ करते थे। हीरा आसवानी ने 1986 में युवक काँग्रेस की जिला ईकाई के महामंत्री के रूप में अपना सियासी जीवन आरंभ किया था। वे प्रसिद्ध समाजसेवी एवं जाने माने किराना व्यवसायी स्व.हरगुन दास आसवानी के सुपुत्र थे।
हीरा आसवानी 1988 से लगातार चार साल तक काँग्रेस सेवादल की जिला ईकाई के अध्यक्ष भी रहे। तत्कालीन जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष महेश चंद मालू के निधन के बाद जुलाई 2011 में उन्होंने जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था, जिस पद पर वे अंतिम समय तक बने रहे।
काँग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि जिला काँग्रेस के द्वारा 12 नवंबर को जारी विज्ञप्ति में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंति पर उन्हें श्रृद्धासुमन अर्पित करने की विज्ञप्ति तो जारी कर दी गयी, किन्तु स्थानीय नेताओं में स्व.उर्मिला सिंह, स्व.हरवंश सिंह के बाद अब जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हीरा आसवानी के संबंध में भी विज्ञप्ति जारी करना मुनासिब नहीं समझा गया है।
उक्त पदाधिकारी ने कहा कि इसके पहले हर साल स्व.हीरा आसवानी के द्वारा काँग्रेस संगठन का अध्यक्ष रहते हुए जिले में काँग्रेस को एक सूत्र में पिरोने के उनके प्रयासों को याद करते हुए जिला काँग्रेस कमेटी के द्वारा उनकी पहली और दूसरी पुण्य तिथि पर शिद्दत से याद किया जाता रहा है, पर इस बार इसकी सूचना काँग्रेस के लोगों को क्यों नहीं दी गयी, यह शोध का विषय माना जा सकता है।
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पीएम की सभा के बाद कभी भी लग सकती है पंचायत चुनाव की आचार संहिता!
देव उठनी ग्यारस के के बाद आरक्षण प्रक्रिया और फिर कभी भी हो सकती है चुनावों की घोषणा!
(नन्द किशोर)
भोपाल (साई)। देश के हृदय प्रदेश में बहुत जल्द ही पंचायत चुनावों की घोषणा हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोमवार को प्रस्तावित भोपाल यात्रा के उपरांत एक सप्ताह के अंदर ही चुनावों की घोषणा की जा सकती है, उसके बाद आचार संहित लगाई जा सकती है। सोशल मीडिया पर पंचायत निर्वाचन के नाम निर्देशन पत्र भी जमकर वायरल हो रहे हैं।
राज्य सचिवालय वल्लभ भवन के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि चुनाव तीन चरणों में हो सकते हैं। इसमें ऑन लाईन और ऑफ लाईन फार्म भरवाया जा सकता है। जिला पंचायत के लिए ऑन लाईन नामांकन हो सकता है। इसके अलावा ग्राम पंचायत स्तर पर मतपत्र से वोट डाले जाएंगे एवं जनपद तथा जिला पंचायत में ईवीएम से वोट डलवाए जा सकते हैं।
सूत्रों ने आगे बताया कि जिला पंचायत, जनपद पंचायत में ऑन लाईन नामंकन दाखिल होगा। इसके लिए फीस भी निर्धारित कर दी गई है। प्रत्याशी लोक सेवा केंद्र के जरिए एमपी ऑन लाईन कियोस्क के जरिए 35 रूपए जमा करके नामांकन दाखिल किया जा सकता है। नामांकन का प्रिंट आऊट लेने के लिए पांच रूपए अतिरिक्त भुगतान भी करना होगा।
सूत्रों ने बताया कि निर्वाचन आयोग और जिलाधिकारियों की बैठकों के कई दौर हो चुके हैं। मतदाता सूची और मतदान केंद्रों को भी अंतिम रूप दिया जा चुका है। चुनाव आयोग के द्वारा तीन या चार साल से ज्यादा एक ही स्थान पर जमे अधिकारियों की सूची भी बुलाना आरंभ कर दिया गया है ताकि आयोग कि निर्देश पर तबादले किए जा सकें।
सूत्रों की मानें तो मध्यप्रदेश में कुल ग्राम पंचायतों की संख्या 23 हजार 912 है। जिसमें इस प्रकार तीन चरणों में चुनाव हो सकते हैं। इसमें पहले चरण में 7527 ग्राम पंचायत, दूसरे चरण में 7531 ग्राम पंचायत और अंतिम चरण में 8814 ग्राम पंचायतों में चुनाव कराए जा सकते हैं।
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(अखिलेश दुबे)
सिवनी (साई)। शीत ऋतु के आगमन के साथ ही देश और परदेश से परिंदों का सिवनी आना आरंभ हो गया है। कोई हिमालय की तराई से आ रहा है तो यूरोप, चीन जैसे उत्तरीय ठण्डे क्षेत्रों से आने वाले पक्षियों की भी कमी नहीं है।
हाँ, ये बात अलग है कि जिले में मौजूद तालाबों के आसपास ज्यादा चहल - पहल होने से कुछ माइग्रेटरी बडर््स शहर के बाहर के तालाबों और खेतों में अपना डेरा बनाये हुए हैं। शहर हो या शहर के आसपास के स्थान, इन विदेशी पक्षियों की मेहमाननवाजी करने शहर तैयार है।
छः माह तक रहेगा वास : जानकारों का कहना है कि जिले के तालाबों और जलाशयों में माइग्रेटरी बडर््स दशकों से जिले में पहुँच रहीं हैं। ब्राउन हैडेड और ब्लैक गल नामक ये पक्षी हिमालय की तराई वाले स्थानों के साथ ही लेह, लद्दाख से चलकर आते हैं। मध्य भारत और दक्षिण भारत के क्षेत्रों में जहाँ भी इन्हें अपने लिये अनुकूल माहौल मिलता है वहाँ ये ठहर जाते हैं।
जानकार बताते हैं कि ये गल जलचर हैं। भीमगढ़ सहित अन्य तालाबों में इन्हें पानी की पर्याप्त मात्रा के साथ ही भोजन भी मिलता है इसलिये ये हर साल यहाँ ठण्ड के दिनों से छरू माह तक रहते हैं। गर्मी आरंभ होते ही ये वापस अपने क्षेत्रों की और लौटने लगते हैं।
अन्य प्रदेशों और विदेश से आने वाले ये पक्षी दलसागर, भीमगढ़ बाँध, रूमाल जलाशय, बिजना जलाशय, बरगी बाँध के डूब क्षेत्र सहित अनेक जल संग्रहण क्षेत्रों में आसानी से दिख जाते हैं। शीत ऋतु में इन क्षेत्रों में बर्ड वॉचर अपने कैमरे में कैद करने के लिये सुबह शाम घूमते हुए देखे जा सकते हैं।
जानकारों का कहना है कि बर्बलर्स नामक चिड़िया गौरैया से भी छोटी होती है और इसकी 06 से 07 प्रजातियां यहाँ दिखती हैं। इसके साथ ही रेड स्टार्ट, वेडर्स व वेगटेल्स बडर््स भी शहर आ पहुँची हैं। अनेक पक्षी चीन और यूरोपियन देशों से अनुकूल माहौल खोजते हुए शहर पहुँचे हैं।
हजारों किलोमीटर की यात्रा : पक्षी विशेषज्ञ और बर्ड वॉचर्स ने जानकारी देते हुए बताया कि ये पक्षी हजारों किलोमीटर दूर से चलकर आते हैं लेकिन ये पक्षी इतनी लंबी यात्रा कैसे कर लेते हैं इस बारे में अभी तक कोई भी रिसर्च पता नहीं कर पायी है। पक्षी प्रेमियों के साथ वैज्ञानिकों के बीच भी यह बड़ी उत्सुकता का विषय हमेशा से रहा है लेकिन अभी तक इनकी यात्रा का रहस्य नहीं पता चल पाया है।
कुछ लोग मानते हैं कि ये लैंड मार्क पहचान लेते हैं तो कुछ का कहना है कि मैग्नेटिव वेव्स को पकड़कर चलते हैं। एक माह के सफर के बाद ये शहर पहुँच पाते हैं। चलते झुण्ड में हैं लेकिन फिर बिखर जाते हैं और जाते समय फिर झुण्ड में ही वापस लौटते हैं।
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हीरा आसवानी को बिसार दिया जिला काँग्रेस ने!
जिला काँग्रेस अध्यक्ष रहते हुए 14 को हीरा आसवानी हुए थे ब्रह्मलीन
(संजीव प्रताप सिंह)
सिवनी (साई)। जिला काँग्रेस के अध्यक्ष रहे स्व.हीरा आसवानी की पांचवीं पुण्य तिथि पर जिला काँग्रेस उन्हें श्रृद्धासुमन अर्पित करेगी, इस संबंध में काँग्रेस के द्वारा विज्ञप्ति जारी नहीं किये जाने को लेकर तरह - तरह की चर्चाओं का बाजार गर्मा गया है।
ज्ञातव्य है कि वर्ष 2016 में 14 नवंबर को तड़के हीरा आसवानी के सीने में दर्द उठा था। उन्हें निजि अस्पताल ले जाया गया था जहाँ उन्होंने अंतिम सांस ली थी।
मिलनसार और मददगार व्यक्तित्व के धनी रहे हीरा आसवानी अपनी मित्र मण्डली की जान हुआ करते थे। वे काँग्रेस के कद्दावर नेता स्व.हरवंश सिंह के बेहद करीबी हुआ करते थे। हीरा आसवानी ने 1986 में युवक काँग्रेस की जिला ईकाई के महामंत्री के रूप में अपना सियासी जीवन आरंभ किया था। वे प्रसिद्ध समाजसेवी एवं जाने माने किराना व्यवसायी स्व.हरगुन दास आसवानी के सुपुत्र थे।
हीरा आसवानी 1988 से लगातार चार साल तक काँग्रेस सेवादल की जिला ईकाई के अध्यक्ष भी रहे। तत्कालीन जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष महेश चंद मालू के निधन के बाद जुलाई 2011 में उन्होंने जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष का पदभार ग्रहण किया था, जिस पद पर वे अंतिम समय तक बने रहे।
काँग्रेस के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने पहचान उजागर न करने की शर्त पर समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया से चर्चा के दौरान कहा कि जिला काँग्रेस के द्वारा 12 नवंबर को जारी विज्ञप्ति में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू की जयंति पर उन्हें श्रृद्धासुमन अर्पित करने की विज्ञप्ति तो जारी कर दी गयी, किन्तु स्थानीय नेताओं में स्व.उर्मिला सिंह, स्व.हरवंश सिंह के बाद अब जिला काँग्रेस कमेटी के अध्यक्ष रहे हीरा आसवानी के संबंध में भी विज्ञप्ति जारी करना मुनासिब नहीं समझा गया है।
उक्त पदाधिकारी ने कहा कि इसके पहले हर साल स्व.हीरा आसवानी के द्वारा काँग्रेस संगठन का अध्यक्ष रहते हुए जिले में काँग्रेस को एक सूत्र में पिरोने के उनके प्रयासों को याद करते हुए जिला काँग्रेस कमेटी के द्वारा उनकी पहली और दूसरी पुण्य तिथि पर शिद्दत से याद किया जाता रहा है, पर इस बार इसकी सूचना काँग्रेस के लोगों को क्यों नहीं दी गयी, यह शोध का विषय माना जा सकता है।
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पीएम की सभा के बाद कभी भी लग सकती है पंचायत चुनाव की आचार संहिता!
देव उठनी ग्यारस के के बाद आरक्षण प्रक्रिया और फिर कभी भी हो सकती है चुनावों की घोषणा!
(नन्द किशोर)
भोपाल (साई)। देश के हृदय प्रदेश में बहुत जल्द ही पंचायत चुनावों की घोषणा हो सकती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सोमवार को प्रस्तावित भोपाल यात्रा के उपरांत एक सप्ताह के अंदर ही चुनावों की घोषणा की जा सकती है, उसके बाद आचार संहित लगाई जा सकती है। सोशल मीडिया पर पंचायत निर्वाचन के नाम निर्देशन पत्र भी जमकर वायरल हो रहे हैं।
राज्य सचिवालय वल्लभ भवन के उच्च पदस्थ सूत्रों ने समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया को बताया कि चुनाव तीन चरणों में हो सकते हैं। इसमें ऑन लाईन और ऑफ लाईन फार्म भरवाया जा सकता है। जिला पंचायत के लिए ऑन लाईन नामांकन हो सकता है। इसके अलावा ग्राम पंचायत स्तर पर मतपत्र से वोट डाले जाएंगे एवं जनपद तथा जिला पंचायत में ईवीएम से वोट डलवाए जा सकते हैं।
सूत्रों ने आगे बताया कि जिला पंचायत, जनपद पंचायत में ऑन लाईन नामंकन दाखिल होगा। इसके लिए फीस भी निर्धारित कर दी गई है। प्रत्याशी लोक सेवा केंद्र के जरिए एमपी ऑन लाईन कियोस्क के जरिए 35 रूपए जमा करके नामांकन दाखिल किया जा सकता है। नामांकन का प्रिंट आऊट लेने के लिए पांच रूपए अतिरिक्त भुगतान भी करना होगा।
सूत्रों ने बताया कि निर्वाचन आयोग और जिलाधिकारियों की बैठकों के कई दौर हो चुके हैं। मतदाता सूची और मतदान केंद्रों को भी अंतिम रूप दिया जा चुका है। चुनाव आयोग के द्वारा तीन या चार साल से ज्यादा एक ही स्थान पर जमे अधिकारियों की सूची भी बुलाना आरंभ कर दिया गया है ताकि आयोग कि निर्देश पर तबादले किए जा सकें।
सूत्रों की मानें तो मध्यप्रदेश में कुल ग्राम पंचायतों की संख्या 23 हजार 912 है। जिसमें इस प्रकार तीन चरणों में चुनाव हो सकते हैं। इसमें पहले चरण में 7527 ग्राम पंचायत, दूसरे चरण में 7531 ग्राम पंचायत और अंतिम चरण में 8814 ग्राम पंचायतों में चुनाव कराए जा सकते हैं।
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