मैंने देखे पेड़००
+-+-+-+
मित्र ने कहा मुझसे
विद्यालय के बरामदे में
पड़े अस्त-व्यस्त फर्नीचर को देखकर
देखो मित्र कैसी पड़ी है
बेंचे पैर ऊपर किए
मैंने देखे पेड़
शिखर को जमीन पर
और जड़ों को छत की ओर किए
सिसकियां भरते हुए कह रहे थे मुझसे
यूं ना बर्बाद करो हमें
हम सांसे है
हमसे जीवन है तुम्हारा।
०आशीष "मोहन"
9406706752
--
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY