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आप की धमक है कांग्रेस भाजपा के लिए खतरे की घंटी

 

17 फरवरी 2020


अपनी बात

आप की धमक है कांग्रेस भाजपा के लिए खतरे की घंटी!

(लिमटी खरे)


दिल्ली को भले ही पूर्ण राज्य का दर्जा अभी तक नहीं मिल पाया है पर दिल्ली विधान सभा चुनावों के परिणामों ने भाजपा और कांग्रेस के लिए खतरे की घंटी बजा दी है। क्षेत्रीय दल एक बार फिर ताकतवर होते दिख रहे हैं। भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस जैसे स्थापित राष्ट्रीय दलों को अब आत्म मंथन की जरूरत महसूस हो रही होगी। इन दलों को अब अपनी रणनीति कार्यशैली और परंपराओं में तब्दीली करना ही होगा। लंबे समय से भाजपा और कांग्रेस में राष्ट्रीय स्तर पर सेकण्ड लाईन तैयार होती नहीं दिख रही है। दिल्ली चुनावों के पहले भाजपा नीत केंद्र सरकार के द्वारा किए गए प्रयोग भी असफल ही साबित हुए। दिल्ली की जनता के द्वारा अरविंद केजरीवाल के द्वारा किए गए कामों पर एक बार फिर ऐतबार जताया है। दरअसलकेजरीवाल सरकार के द्वारा शिक्षा और स्वास्थ्य दो मुद्दों पर बहुत ही अच्छा काम किया है और दोनों ही मुद्दे मतदाता से सीधे जुड़ाव वाले हैंइसलिए केजरीवाल सरकार को आशातीत सफलता मिल पाई।


पिछले साल हुए लोक सभा चुनावों में दिल्ली ने भाजपा का साथ दिया थापर विधान सभा चुनावों में भाजपा को मुंह की खानी पड़ी है। सत्तर सीटों वाली विधान सभा में भाजपा दहाई के आंकड़े को भी स्पर्श नहीं कर पाई। दरअसलसियासी बियावान में अनुभवी नेताओं के द्वारा आज भी बीसवीं सदी के चुनावों की बयारों की तरह ही माहौल को भांपा जाता हैजबकि इक्कीसवीं सदी में बहुत कुछ बदलाव आ चुके हैं। मतदाता के मन को पढ़ना अब आसान नहीं रहा। धारा 370 का मामला होराम मंदिरएनआरसीएनपीआर या शाहीन बाग का मसलाये सारे मामले का दिल्ली के चुनावों में बेअसर ही दिखे।

दिल्ली पर एक समय में भाजपा का राज रहामदन लाल खुरानासुषमा स्वराज यहां की निजाम रहीं। इसके बाद शीला दीक्षित ने डेढ़ दशक यहां राज किया। केजरीवाल सरकार तीसरी पारी में भारी बहुमत से जीति है तब कांग्रेस और भाजपा को इस बारे में विचार करने की जरूरत है कि आखिर क्या वजह है कि लंबे अंतराल के बाद भी देश के दिल कहे जाने वाली दिल्ली में वे अपनी वजनदार उपस्थिति तक दर्ज नहीं करा पाए। दिल्ली जो कभी भाजपा का गढ़ माना जाता थावहांकांग्रेस ने शीला दीक्षित जैसे अनुभवी नेता के रूप में न केवल वापसी की वरन पंद्रह सालों तक दिल्ली पर कब्जा भी किया। उनके कार्यकाल में कामन वेल्थ गेम्स के घोटालों को जनता ने अपनी आखों से देखा और कांग्रेस का अस्तित्व यहां समाप्त होता चला गया। कांग्रेस के लगभग सारे वोट ही आम आदमी पार्टी की झोली में बहुत आसानी से चले गए।

सियासी जानकारों की मानें तो सियासी दलों ने अपने अपने जहर बुझे तीरोंअसंसदीय भाषाओछे कमेंट्स आदि के जरिए मतदाताओं के धु्रवीकरण का प्रयास अवश्य किया किन्तु देश की सियासत जिस शहर से चलती है उसका नाम है दिल्ली! दिल्ली के लोग धेर्यवानसंयम रखने वाले और समझदार हैं इस बात को चुनाव के परिणामों ने पूरी तरह साबित कर दिया है। सियासतदारों के बहकावे में यहां के मतदाता नहीं आए। मतदाताओं ने काम को ईनाम दिया हैकाम का सम्मान किया हैकार्म ही पूजा है का मूल मंत्र एक बार फिर बुलंद होकर उभरा है।

दिल्ली के चुनाव परिणामों में दूसरी बार आम आदमी पार्टी को मिली आशातीत सफलता इसी बात को रेखांकित करती दिखती है कि दिल्ली की जनता आम आदमी पार्टी की सरकार के पांच साल के कार्यकाल से पूरी तरह संतुष्ट है। अरविंद केजरीवाल सियासत में नए खिलाड़ी माने जा सकते थे। वे अगर पराजित होते तो उनके सियासी कैरियर पर पूरी तरह विराम लगना भी संभव थाकिन्तु कांग्रेस भाजपा की रणनीति के चलते एक बार फिर वे सत्ता पर काबिज होने में सफल हो गए।

देखा जाए तो केजरीवाल सरकार ने जनता की नब्ज को थामा है। आम जनता क्या चाहती है इस बात को केजरीवाल बहुत ही अच्छी तरह समझ चुके हैं। सब कुछ निशुल्क देने से एक बार चुनाव तो जीता जा सकता है पर बार बार चुनावी वैतरणी इसके जरिए शायद ही पार की जा सकती हो। अरविंद केजरीवाल की सरकार के रणनीतिकारों के द्वारा जनता से सीधे जुड़े स्वास्थ्य के मामलों पर ध्यान केंद्रित किया। दिल्ली में सरकारी अस्पतालों की सूरत और सीरत दोनों ही बदल गईं। जनता को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं मिलने लगीं। इसके अलावा शिक्षा के क्षेत्र में भी उनके द्वारा काफी सुधार किया गया। सरकारी शालाओं में उपस्थिति बढ़ना इस बात का घोतक है कि दिल्ली की जनता को केजरीवाल सरकार की शिक्षा प्रणाली रास आई है। मूलतः शिक्षा और स्वास्थ्य को ही बुनियादी सुविधाओं में अव्वल माना जाता है और केजरीवाल सरकार के द्वारा इन दोनों ही मामलों को साध लिया गया। इसके अलावा दिल्ली में केजरीवाल सरकार के द्वारा मोहल्लों में मोहल्ला क्लीनिक खोले गए। सीसीटीवी कैमरे लगाए गएमहिलाओं की सुरक्षा के लिए चाक चौबंद प्रबंध करने के प्रयास हुए। यात्री बस में मार्शल नियुक्त किए गएबिजली पानी के मामले में राहत प्रदान की गई।

हो सकता है कांग्रेस और भाजपा के पास यह फीडबैक रहा होगा कि केजरीवाल सरकार के कामकाज से खासी तादाद में लोग नाराज होंगेइसलिए एंटी इंकबैंसी फेक्टर का लाभ उन्हें आसानी से मिल जाएगा। चुनाव परिणामों को अगर देखें तो पिछली बार की तुलना में आम आदमी पार्टी सरकार को घाटा तो हुआ है पर इस कदर घाटा नहीं हुआ है कि जिससे यह बात साफ हो सके कि जनता केजरीवाल सरकार से नाराज थी। कांग्रेस और भाजपा के द्वारा रिक्तता को भरने का प्रयास संजीदगी के साथ नहीं किया गया जिसके चलते आप के वोट बैंक में वे सेंध नहीं लगा पाए।

दिल्ली के चुनाव परिणामों ने एक संदेश देश को दिया है जो बहुत ही महत्वपूर्ण माना जा सकता है। इसे नजीर बनाया जा सकता है। दिल्ली के मतदाताओं को एक बार नागवार गुजरी है वह यह कि जिस तरह की भाषा कांग्रेस और भाजपा के नेताओं के द्वारा उपयोग में लाई गई वह मतदाताओं विशेषकर युवा वर्ग को बिल्कुल भी रास नहीं आई। अरविंद केजरीवाल पर सभी नेताओं ने तरह तरह के आरोप लगाएपर केजरीवाल ने अपनी सरकार की उपलब्धियों पर ही ध्यान केंद्रित रखा गयाउन्होंने किसी भी नेता पर अनर्गल आरोप लगाकर बयानबाजी नहीं की। उनके द्वारा प्रधानमंत्री पर किसी तरह के आरोप नहीं लगाए गए। इसका फायदा उन्हें निश्चित तौर पर मिला।

भाजपा के हाथ से एक के बाद एक प्रदेश फिसलते चले गए। दिल्ली से भाजपा को उम्मीद थीपर इस उम्मीद पर से भी पानी फिर गया। अब भाजपा को खोने के लिए महज बिहार ही शेष रह गया है। गुजरात में भाजपा बहुत ही मुश्किल में दिखी।पंजाबमध्य प्रदेशछत्तीसगढ़राजस्थानझारखण्ड भी भाजपा के हाथ से फिसल गए। इधरकांग्रेस को भी अब विचार करने की जरूरत है। कांग्रेस और भाजपा को सेकण्ड लाईन तैयार करना ही होगाअन्यथा आने वाले समय में क्षेत्रीय दल तेजी से पैर पसारने लगें तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए।

देखा जाए तो किसी जिले में जिला मुख्यालय से सारे जिले में संदेश जाता है। इसी तरह प्रदेश की राजधानी की हलचल से उस सूबे में कार्यप्रणाली तय होती है। इसी तरह देश की राजधानी दिल्ली की सियासत से देश में संदेश प्रसारित होता है। दिल्ली के चुनाव परिणामों के बाद अब किस तरह का संदेश देश भर में जाएगाइस बात पर शायद कांग्रेस भाजपा के नीति निर्धारकों की नजरें अभी तक नहीं जा पाईं हैं। (लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)

(साई फीचर्स)


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