Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

अब जरूरी है राज्यों और केंद्र के बीच समन्वय

 

लिमटी की लालटेन 99

अब जरूरी है राज्यों और केंद्र के बीच समन्वय

(लिमटी खरे)

कोरोना का संक्रमण अभी भी जारी है। मंगलवार की रात तक सक्रमित मरीजों की तादाद 74 हजार से ज्यादा हो चुकी है। टोटल लॉक डाऊन फेज थ्री भी अब समाप्त होने वाला है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 12 मई को दिए राष्ट्र के नाम संबोधन में लॉक डाउन 04 के संकेत भी दिए हैं।

कोरोना महामारी के बीच अब केंद्र और राज्यों के बीच समन्वय बहुत ज्यादा आवश्यक प्रतीत हो रहा है। वैसे कई चरणों में प्रधानमंत्री और राज्यों के मुख्यमंत्रियों के बीच हुई बातचीत में समन्वय बनता दिख रहा है। यह समन्वय आज की महती जरूरत हैइसका स्वागत किया जाना चाहिए। इसके साथ ही विभिन्न राज्यों के बीच भी समन्वय की जरूरत महसूस की जा रही है।

तीन चरणों के लाक डाउन में यह बात आईने की तरह साफ हो चुकी है कि किसी एक के बस में इस महामारी से निपटना नहीं हैइसके लिए सभी को मिलकर प्रयास करने होंगे। इसका कारण यह है कि हर नागरिक अपने अपने सूबे और केंद्र की सरकार से आस लगाए बैठा है।

गरीबों को भोजन और रोजगार का न केवल आश्वासन चाहिए वरन उन्हें यह मिलना भी चाहिए। अमीर चाह रहे हैं कि उन्हें आर्थिक पैकेज और सरकारों का समर्थन मिले। असल मरण तो निम्न मध्यमवर्गीय परिवारों की है। इनके पास कोई विकल्प ही नहीं दिख रहा है।

प्रधानमंत्री के साथ लगभग पचास दिनों में पांच बार मुख्यमंत्रियों की बैठकें हो चुकी हैं। अब जरूरत इस बात की है कि केंद्र और राज्यों के गृहमंत्रियोंपरिवहन मंत्रियोंखाद्य मंत्रियोंस्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा मंत्रियोंवित्तवाणिज्य और शिक्षा मंत्रियों की बैठकें भी होना चाहिए ताकि समन्वय बरकरार रखा जा सके।

प्रधानमंत्री के साथ हुई हाल की बैठक में पांच राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने लाक डाउन बढ़ाने की मांग साफ तौर पर की हैगुजरात का कहना है कि वह अब लाक डाउन को जारी रखने में के पक्ष में नहीं है। लॉक डाउन में मजदूरों की घर वापसी भी परेशानी का सबब बन चुकी है। यद्यपि मजदूरों का घर लौटना उनका मौलिक अधिकार है।

कई शहरों से यह बात भी सामने आ रही है कि बेकार घूम रहे लोगों पर पुलिस के द्वारा कार्यवाही की जा रही है। देखा जाए तो यह कार्यवाही उन लोगों पर की जाना चाहिए जो घर वापस लौटे हैं और उन्हें या तो हाउस आईसोलेशन में रखा गया हैया कोरंटाईन किया गया हैपर वे बाजार में घूम रहे हैं। इस तरह की जाने वाली कार्यवाही से युवाओं के भविष्य पर भी प्रश्न चिन्ह लग रहा है क्योंकि पुलिस रिकार्ड खराब होने पर उनकी सरकारी नौकरी में बाधा भी आ सकती है। किसी सूबे में मजदूरों को रोका जा रहा है तो कहीं जाने दिया जा रहा है। मतलब साफ है कि पुलिस या प्रशासन के पास भी इस मामले में स्पष्ट दिशा निर्देश नहंी ही हैं।

आज एक बात और उभरकर सामने आ रही है कि किसी भी राज्य के पास इस तरह की ठोस कार्ययोजना नहीं है कि वह आने वाले कितने दिनों तक गरीबों को घर बिठाकर खाना खिला सकती है। इसका कारण यह है कि किसी भी सरकार के पास कामगारों या पलायन करने वालों के पुख्ता आंकड़े नहीं हैं।

एक बात और इस लॉक डाउन ने साफ कर दी है। वह है कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के साधन कितने कम हैं। वरना क्या कारण है कि कामगार लाखों की तादाद में घर वापस लौट रहे हैं। जनता के जनादेश प्राप्त सांसदों और विधायकों को इस मामले में विचार करने की आवश्यकता है।

आप अपने घरों में रहेंघरों से बाहर न निकलेंसोशल डिस्टेंसिंग अर्थात सामाजिक दूरी को बरकरार रखेंशासनप्रशासन के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए घर पर ही रहें।

(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)

(साई फीचर्स)


----------------------

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ