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अत्यावश्यक सेवा में लगे लोगों का करें सम्मान

 

लिमटी की लालटेन 77
अत्यावश्यक सेवा में लगे लोगों का करें सम्मान
(लिमटी खरे)
देश भर में कोरोना वारियर्स पूरी तन्मयता के साथ काम कर रहे हैं। इन परिस्थितियों में सोशल मीडिया पर अनेक लोगों के द्वारा तरह तरह की बातें भी पोस्ट की जा रही हैं। पुलिस, प्रशासन, चिकित्सकों, पैरामेडिकल स्टॉफ, नर्सेस आदि के द्वारा जरा सी भी देर किए जाने या सख्ती किए जाने पर लोग पैनिक भी होते दिख रहे हैं।
हमारे बालसखा एवं भोपाल के प्रसिद्ध चिकित्सक डॉ. प्रमोद शंकर सोनी के द्वारा एक पोस्ट साझा की है, जो आज के समय के लिए बहुत ही प्रासंगिक मानी जा सकती है। इस पोस्ट को लिमटी की लालटेन में लेने का फैसला किया है, यह एक प्रेरक कथा है जो अगर आपको पसंद आए तो इसे आगे भी साझा कीजिए।
डॉ. प्रमोद शंकर सोनी के पिता हरी शंकर सोनी सेवानिवृत आईपीएस अधिकारी हैं। वे लिखते हैं कि
एक डॉक्टर बड़ी ही तेजी से हॉस्पिटल में घुसा, उसे किसी एक्सीडेंट के मामले में तुरंत बुलाया गया था। अंदर घुसते ही उसने देखा कि जिस युवक का एक्सीडेंट हुआ है उसके परिजन बड़ी बेसब्री से उसका इंतज़ार कर रहे हैं।
डॉक्टर को देखते ही लड़के का पिता बोला, आप लोग अपनी ड्यूटी ठीक से क्यों नहीं करते, आपने आने में इतनी देर क्यों लगा दी . . ., अगर मेरे बेटे को कुछ हुआ तो इसके जिम्मेदार आप होंगे. . .!
डॉक्टर ने विनम्रता कहा, आई एम स्वारी, मैं हॉस्पिटल में नहीं था, और कॉल आने के बाद जितना तेजी से हो सका मैं यहाँ आया हूँ। कृपया अब आप लोग शांत हो जाइये ताकि मैं इलाज कर सकूँ . . .
शांत हो जाइये!, लड़के का पिता गुस्से में बोला, क्या इस समय अगर आपका बेटा होता तो आप शांत रहते? अगर किसी की लापरवाही की वजह से आपका अपना बेटा मर जाए तो आप क्या करेंगे? पिता बोले ही जा रहा था।
भगवान चाहेगा तो सब ठीक हो जाएगा, आप लोग दुआ कीजिये मैं इलाज के लिए जा रहा हूँ। और ऐसा कहते हुए डॉक्टर ऑपरेशन थिएटर में प्रवेश कर गया।
बाहर लड़के का पिता अभी भी बुदबुदा रहा था. . . सलाह देना आसान होता है, जिस पर बीतती है वही जानता है . .!
करीब डेढ़ घंटे बाद डॉक्टर बाहर निकला और मुस्कुराते हुए बोला, भगवान का शुक्र है आपका बेटा अब खतरे से बाहर है. . .
यह सुनते ही लड़के के परिजन खुश हो गए और डॉक्टर से सवाल पर सवाल पूछने लगे, वो कब तक पूरी तरह से ठीक हो जायेगा, , , उसे डिस्चार्ज कब करेंगे. . .
पर डॉक्टर जिस तेजी से आया था उसी तेजी से वापस जाने लगा और लोगों से अपने सवाल नर्स से पूछने को कहा।
ये डॉक्टर इतना घमंडी क्यों है, ऐसी क्या जल्दी है कि वो दो मिनट हमारे सवालों का जवाब नहीं दे सकता ? लड़के के पिता ने नर्स से कहा।
नर्स लगभग रुंआसी होती हुई बोली . . . आज सुबह डॉक्टर साहब के लड़के की एक भयानक एक्सीडेंट में मौत हो गयी , और जब हमने उन्हें फ़ोन किया था तब वे उसका अंतिम संस्कार करने जा रहे थे, और बेचारे अब आपके बच्चे की जान बचाने के बाद अपने लाडले का अंतिम संस्कार करने के लिए वापस लौट रहे हैं. . .
यह सुन लड़के के परिजन और पिता स्तब्ध रह गए और उन्हें अपनी गलती का ऐहसास हो गया. . .
दोस्तों, आज जब सम्पूर्ण विश्व कोरोना वायरस की चपेट में है और स्वास्थ्य कर्मी, पुलिस, पेरामेडिकल स्टॉफ, नर्सेस, समाज सेवक व अन्य वे लोग जो आपदा की इस कठिन घड़ी में अपने स्वयं के व परिवार के बजाय आप और आपके परिवार की सेवा में लगे हुए हैं।
उनकी कठिनाइयों के जाने बिना ही उन पर बुरी तरह से रियेक्ट कर देते हैं। आज वे सारे लोग जो कुछ भी कर रहे हैं, वे सब हमें और इस देश को इस भीषण संकट से बचाने का प्रयास ही तो कर रहे हैं ना! इसलिए हमें यह कोशिश करनी चाहिए कि हम स्वयं पर नियंत्रण रखते हुए इस लॉक डाउन का पूरा पालन करें और घर में रहते हुए ही देश को इस संकट से बचाने में केवल इतना सा सहयोग अवश्य प्रदान करें।
आप अपने घरों में रहें, घरों से बाहर न निकलें, सोशल डिस्टेंसिंग अर्थात सामाजिक दूरी को बरकरार रखें, शासन, प्रशासन के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए घर पर ही रहें।
(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)
(साई फीचर्स)

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