लिमटी की लालटेन 81
स्वास्थ्य विभाग में किया जाना चाहिए निवेश
(लिमटी खरे)
देश में कोरोना के मरीजों के मिलने की तादाद में इजाफा होता जा रहा है। शुक्रवार 17 अप्रैल की रात तक संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 14 हजार को पार कर गया है। भारत सरकार के द्वारा किए जाने वाले प्रयासों से यह आंकड़ा भयावह तो नहीं माना जा सकता है, पर इसे थामे रखने की जरूरत महसूस की जा रही है।
भारत सरकार को केरल माडल हर प्रदेश में लागू करने की आवश्यकता है। केरल में संक्रमित मरीजों के मिलने की तादाद में कमी तेजी से दर्ज की गई है। केरल से ही कोरोना का पहला मरीज देश में मिला था। इस सूबे में अधिकांश लोग खाड़ी देशों नौकरी करते हैं। केरल में वृद्ध लोगों की तादाद भी अन्य प्रदेशों से लगभग चार फीसदी ज्यादा है, इसके बाद भी अगर कोरोना की चेन को वहां थामा जा सकता है तो अन्य राज्यों को इससे सबक लेने की जरूरत है।
केरल में आखिर इस चेन को कैसे थाम लिया गया! इस बारे में अगर विचार किया जाए तो केरल में सालों से स्वास्थ्य सुविधाओं पर विशेष ध्यान रखा गया है। केरल में मेडिकल कॉलेज खोले गए हैं, केरल में सेवाभावी महिलाओं की तादाद बहुत ज्यादा है केरल की महिलाएं शायद ही किसी प्रदेश में नर्स का काम करते न दिखें।
केरल माडल को लागू करने की बात इसलिए कही जा रही है क्योंकि आज जो विपदा सामने आई है उसके बाद देश में स्वास्थ्य सुविधाओं पर भी विचार किया जाने लगा है। यही माकूल वक्त है जबकि देश में स्वास्थ्य सुविधाओं पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। देखा जाए तो केंद्र और राज्य सरकारों की कागजों पर प्राथमिकता तो स्वास्थ्य और शिक्षा होती है पर जमीनी हकीकत इससे उलट ही नजर आती है।
देखा जाए तो देश में विकास के मायने आवागमन के साधन, बिजली, पानी की अपूर्ति, सड़क निर्माण को ही माना गया है। विकास के पैमाने ये हो सकते हैं, पर विकास की पहली अनिवार्यता स्वास्थ्य और शिक्षा को बनाए जाने की जरूरत है।
देश में स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए नेशनल हेल्थ मिशन और ग्रमीण स्वास्थ्य मिशन के द्वारा हर जिले को बड़ी तादाद में आवंटन दिया जाता रहा है। केद्र सरकार के द्वारा कभी भी इस बात की सुध नहीं ली गई कि उसकी इमदाद का राज्यों के द्वारा किस तरह उपयोग किया गया है।
जमीनी हालात अगर देखे जाएं तो केंद्र की इमदाद पर महंगे एयर कंडीशन, मंहगे और विलासिता वाले किराए के वाहनों के साथ ही साथ अस्पतालों में ंनिर्माण कार्य में इसका उपयोग किया जाता रहा है। इसका सोशल आडिट कराए जाने की महती जरूरत है।
आज अमेरिका और अन्य यूरोप के देशों की स्वास्थ्य सुविधाओं से अगर भारत अपनी तुलना करे तो पता चलेगा कि देश में स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल क्या है! कहां खड़े हैं स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में हम! अभी भी समय है सरकारों को स्वास्थ्य के क्षेत्र में निवेश करने की महती जरूरत है।
देश में एक हजार व्यक्ति पर महज 0.55 बिस्तर हैं, अस्पतालों में, इसका तातपर्य यह हुआ कि दो हजार लोगों पर महज एक बिस्तर! इटली और चीन में एक हजार लोगों पर चार बिस्तर हैं, तो अमेरिका में लगभग तीन! देश के सूबों में अगर देखा जाए तो बिहार में दस हजार लोगों की आबादी के पीछे महज एक बिस्तर ही है अस्पताल में!
जब तक कोरोना का टीका विकसित नहीं हो जाता तब तक कम से कम कुटीर उद्योगों को बढ़ावा देकर घरों घर मास्क बनवाने के काम को अंजाम दिया जाना चाहिए। आज कुटीर उद्योग का नाम महज किताबों और सरकारी योजनाओं में ही दर्ज है, जमीनी स्तर पर कुटीर उद्योग परिदृश्य से नदारत ही दिखते हैं।
आज लगभग एक माह से लोग घरों पर बैठे हैं। सरकार अगर उन्हें कुछ काम घर पर ही मुहैया करवाती है तो उनकी आर्थिक स्थिति ठीक की जा सकती है। इससे देश की अर्थव्यवस्था में सुधार होने की उम्मीद भी है।
आप अपने घरों में रहें, घरों से बाहर न निकलें, सोशल डिस्टेंसिंग अर्थात सामाजिक दूरी को बरकरार रखें, शासन, प्रशासन के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए घर पर ही रहें।
(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)
(साई फीचर्स)
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