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संभलकर रहिए, अभी हम हैं सेफ जोन में

 

लिमटी की लालटेन 61

संभलकर रहिएअभी हम हैं सेफ जोन में

(लिमटी खरे)


कोविड 19 कोरोना का संक्रमण पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहा है। भारत के लिए यह राहत की बात ही मानी जा सकती है कि देश में अभी इसका संक्रमण उस तेज गति से नहीं फैल रहा है जिस तरह अनेक देशों में फैला है। कहा जा रह है कि अभी भारत में फेस तीन में यह पहुंच रहा है। अभी भी चेतने संभलने की जरूरत है। सामाजिक दूरी और सोशल डिस्टेंस को बरकरार रखने की महती जरूरत है।

हमारी सरकारों को यह देखना होगा कि देश में स्वास्थ्य सुविधाओं का क्या हाल है! देश इससे निपटने के लिए किस हद तक तैयार है। देश की आबादी लगभग एक अरब तीस करोड़ है। इस आबादी में अगर दो फीसदी लोगों को ही कोविड 19 का संक्रमण हो गया तो मान लीजिए कि ढाई करोड़ से ज्यादा लोग इसकी जद में आ जाएंगे। अगर ऐसा हुआ तो हमारे पास स्वास्थ्य सुविधाएं अर्थात मेडिकल फेसिलिटीज कितनी हैं!

एक अनुमान के अनुसार देश में एक लाख वेंटीलेटर्स की उपलब्धता है। उस स्थिति में क्या किया जाएगा जब महज दो फीसदी लोग ही इसके संक्रमण की चपेट में आ जाएंगे। अगर ढाई करोड़ से ज्यादा लोग इसकी चपेट में आए तो एक लाख वेंटिलेटर्स नाकाफी ही साबित होंगे। इस संक्रमण की जद में अगर ढाई करोड़ से ज्यादा लोग आए और उसमें से नब्बे फीसदी स्वस्थ्य भी हो गए तो भी आठ से दस लाख लोगों को वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है।

एक खबर के अनुसार जर्मनी में एक बुजुर्ग और एक जवान एक चिकित्सक के पास पहुंचे। चिकित्सक धर्म संकठ में थे कि वे किसे वेंटीलेटर लगाएंक्योंकि महज एक वेंटिलेटर ही बचा था उनके पास। इसके बाद उनके द्वारा जवान व्यक्ति को वेंटिलेटर लगाया गया। देश में अगर यह तेजी से फैला तब हमारे पास वेंटिलेटर का विकल्प सीमित ही रह जाएगा।

प्रधानंमत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा जनता कफ्यू की बात 22 मार्च को ऐसे ही नहीं कही गई थी। उनके पास इसका पूरा पूरा फीडबैक रहा होगा। प्रधानमंत्री कार्यालय के द्वारा देश के हालातों की समीक्षा के बाद 21 दिन का टोटल लॉक डाऊन किया गया है।

यह लॉक डाऊन या जिन जगहों पर कर्फ्यू लगाया गया है उसकी गंभीरता का समझिएयह आपके स्वास्थ्य को देखकर ही लगाया गया है। कफ्यू या लॉक डाऊन में अगर ढील दी जाए तो आप आपाधापी में घर से मत निकलिए। किरानासब्जी या दूध की दुकानों पर भीड़ न लगाएं। कम से कम एक मीटर की दूरी आपस में बनाए रखें।

केंद्र सरकार को चाहिए कि देश की चिकित्सा सुविधाओं के बारे में देश की जनता को बताया जाए। यह जनता को डराने के लिए नहीं किया जाएवरन वस्तु स्थिति से आवगत कराने के लिए किया जाए। बहुत सारे देशों में वहां की स्वास्थ्य सुविधाओं से ज्यादा मरीज आने के बाद टोटल लॉक डाऊन की बात सोची गई। भारत के लिए यह बहुत सुखद माना जा सकता है कि यहां समय रहते ही चेत जाया गया है।

इस लॉक डाऊन को सफल बनानादेश को बचानास्थिति को संभालना देश की जनता के हाथ में ही है। अगर आप घर पर रहते हैं तो निश्चित तौर पर स्थितियों पर जल्द ही नियंत्रण पाया जा सकता है। घर में अगर पनीर नहीं हैअच्छी चीजें खाने को नहीं हैं तो आप संयम बरतिएधैर्य रखिएघर पर ही रहिए। प्रधानमंत्री ने तीन सप्ताह तक टोटल लॉक डाऊन की बात कही हैआप प्रधानमंत्री की अपील को देश के लिएअपने समाज के लिएअपने परिवार के लिए मानिए।

अगर स्थितियां देश की स्वास्थ्य सुविधाओं या मेडिकल फैसिलिटीज की सीमाओं को तोड़कर आगे निकल गईं तो कुछ भी हमारे और आपके हाथ में नहीं रह जाएंगी। इसलिए आज इम्तेहान कीपरीक्षा की घड़ी हैइस परीक्षा की घड़ी में आप देशसमाजपरिवार के लिए घर पर रहें।

अगर आप महज तीन सप्ताह घर पर रह गए तो यकीन मानिए इस विपदा की घड़ी पर हम पार पाने में सफल हो जाएंगे। यही मान लीजिए कि आप रेलगाड़ी में कहीं जा रहे हैं और सफर 21 दिन लंबा है। रेलगाड़ी में जो कुछ भी आपको खाने को मिलता है वही खाते हैंन। वहां आपकी मर्जी का खाना मिल जाएकोल्ड ड्रिंक मिल जाएयह संभव नहीं है। इसलिए देशप्रदेशसमाजपरिवार के लिए आप 21 दिन तक पूरी तरह अपने घरों पर ही रहें। अगर आवश्यक सामग्री लेने के लिए छूट मिले तो आप पैनिक न होंभीड़ न लगाएं। देश के हर जिले के प्रशासन के द्वारा आपकी सुविधा के लिए इंतजामात किए जा रहे हैं। हो सकता है आपके घर किरानासब्जीदूध या अन्य चीजें विलंब से मिलेंपर आप पैनिक न होंउग्र न होंस्थितियों को समझेंपरिस्थितियों के साथ चलें।

बस सिर्फ 21 दिन की ही तो बात है। अगर आपने धेर्यसंयम के साथ ये 21 दिन घर पर ही काट लिए तो मान लीजिए कि आपने एक बहुत बड़ी जंग जीत ली है। सोचिएआपके इस छोटे से सहयोगहलांकि है बहुत बड़ा से भारत का नाम समूचे विश्व में कितने सम्मान के साथ लिया जाएगाकि विश्व के विकासशील देश जो नहीं कर पाए वह आपने महज 21 दिनों में ही कर दिया।

आपसे एक अनुरोधअपीलगुजारिश यह भी है कि आपके घर के आसपास अगर चौक चौराहों पर पुलिस या प्रशासन के कर्मचारी ड्यूटी दे रहे हों तो उनकी सुविधा का ख्याल रखें। उन्हें कुर्सी देंउनके हाथ साबुन से धुलवाएंउन्हें चायनाश्ता या खाना भी पूछेंउनका सहयोग करें। जो भी वे कर रहे हैं वह आपके स्वास्थ्य की चिंता करते हुए ही कर रहे हैं। युवाओं से भी अपील है कि वे भी घरों से न निकलेंरचनात्मक कामों में अपने आपको लगाएं। परिवार के साथ समय बिताएं। महज 21 दिन की ही बात हैजिसमें से तीन चार दिन बीत भी गए हैं। थोड़ा सफर पूरा हो गयाथोड़ा अभी बाकी है। जिस तरह का धेर्यसंयमशांति आपने अभी दिखाई है इसे आने वाले दिनों में भी बरकरार रखेंयही अपील है।

(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)

(साई फीचर्स)


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