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टकराव की ओर बढ़ रही दो महाशक्तियां

 

लिमटी की लालटेन 105

टकराव की ओर बढ़ रही दो महाशक्तियां

(लिमटी खरे)

दुनिया में चीन और अमेरिका को दो महाशक्तियों के रूप में जाना जाता है। इसे चीन के अपरादर्शी रवैया कहा जाए या दुनिया के चौधरी अमेरिका के प्रथम नागरिक डोनाल्ड ट्रंप की नीतियां कि दोनों ही देश वर्तमान समय में एक ऐसे मोड़ पर आकर खड़े हो गए हैं जहां रिश्तों की नाजुक डोर कभी भी टूट सकती है। दोनों के बीच संबंध अगर अप्रिय रूख की ओर अग्रसर हो गए तो वैश्विक अर्थव्यवस्था पर इसका बहुत ही गहरा असर पड़ने से कोई रोक नहीं पाएगा।

अमेरिका की कांग्रेस में रिपब्लिकन सदस्य मार्क ग्रीन के द्वारा इसका आगाज कर भी दिया गया है। उनके द्वारा एक इस तरह का विधेयक पेश किया गया है जो अगर कानून की शक्ल अख्तियार करता है तो चीन में जो भी अमेरिकन कंपनियां काम कर रही हैं उन्हें चीन से पलायन करने पर मजबूर होना पड़ सकता है।

अमेरिकी कांग्रेस में प्रस्तावित ब्रिंग अमेरिकन कंपनीज होम एक्ट के मसौदे में यह बात रखी गई है कि सरकार चीन को छोड़कर अमेरिका जाने वाली कंपनीज को अमेरिका ले जाने का संपूर्ण खर्च वहन करे और चीन से आयात करने पर जो भी लेवी लगाई जाती है उसे माफ किया जाए। अगर यह बिल पारित होता है तो चीन से अमेरिका कंपनियां पलायन कर जाएंगी।

इसके अलावा अमेरिका की सरकार के द्वारा चीन पर निर्भरता समाप्त करने के लिए कवायद भी आरंभ कर दी गई है। पेंटागन के द्वारा मिसाईलयुद्ध में प्रयुक्त होने वाली समग्रियों एवं हायपर सौनिक हथियारों के निर्माण में प्रयुक्त होने वाले खनिज पर निर्भरता समाप्त करने के लिए भी एक विधेयक तेयार किया है। कुल मिलाकर अमेरिका के द्वारा चीन के खिलाफ जिस तरह का रवैया अपनाया जा रहा है वह केवल थोथी बयानबाजी नहीं हैवरन उसके द्वारा ठोस रणनीति भी तैयार की जा रही है।

दरअसलअमेरिका में आने वाले महीनों में राष्ट्रपति के चुनाव होने वाले हैं। डोनाल्ड ट्रंप की कवायद बता रही है कि वे राष्ट्रपति का एक और कार्यकाल पाने के लिए आतुर हैं। इसी के चलते वे कभी पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं तो कभी विश्व स्वास्थ्य संगठन पर निशाना साधते हुए लगभग धमका भी रहे हैं।

यह बात भी साफ होती दिख रही है कि डोनाल्ड ट्रंप की कवायद के बाद अनेक देश उनके रवैए से नाखुश ही नजर आ रहे हैं। वैसे वैश्विक स्तर पर डोनाल्ड ट्रंप के द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन को कटघरे में खड़ा करने के बाद जिस तरह का माहौल तैयार हुआ है उसके बाद कोरोना कोविड 19 वायरस के मामले में स्वतंत्र जांच के लिए अनेक देश राजी हुए हैं। अमेरिका का दावा है कि इस मसले में डब्लूएचओ ने चीन के आगे घुटने टेके हैं।

अमेरिका के दावे में कितना दम है यह बात तो भविष्य के गर्भ में है पर अमेरिका के द्वारा की जाने वाली कवायद से वैश्विक अर्थव्यवस्था पर जो प्रभाव पड़ेगा उससे निपटने की रणनीति बनाने में अनेक देश जुट भी चुके हों तो किसी को आश्चर्य नहीं होना चाहिए। इसका कारण यह है कि अमेरिका प्रशासन के कदमतालों को देखते हुए अमेरिका मूल की अनेक कंपनियों ने अपना बोरिया बिस्तर चीन से समेटना भी आरंभ कर दिया है।

भारत भी अमेरिका के इस रवैए को भांप रहा है। सरकार ने भी देश की राज्य सरकारों से अपील की है कि वे अमेरिका की कंपनियों को भारत आने के लिए न केवल आकर्षित करें वरन उनके लिए इस तरह के उपजाऊ माहौल तैयार करें ताकि ये कंपनियां भारत आकर अपना कारोबार आरंभ कर सकें।

कोरोना नामक वायरस ने लोगों की जीवनचर्यासोचरहन सहनआचार विचार पर जमकर प्रभाव डाला है। भारत के लिए यह एक अवसर भी है। अगर देश में अमेरिका की कंपनियां आकर कारोबार करती हैं तो उनके द्वारा किए जाने वाले निवेश से यहां के बेरोजगारों के लिए बेहतर अवसर मिल सकते हैं। इसलिए राज्यों की सरकारों को भी चाहिए कि वे इस अवसर का पूरा पूरा लाभ उठाते हुए देश में ही रोजगार के साधनों को बढ़ाने के मार्ग प्रशस्त करें।

आप अपने घरों में रहेंघरों से बाहर न निकलेंसोशल डिस्टेंसिंग अर्थात सामाजिक दूरी को बरकरार रखेंशासनप्रशासन के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए घर पर ही रहें।

(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)

(साई फीचर्स)


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