Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

तेल देखिए और तेल की धार . . .

 

लिमटी की लालटेन 84

तेल देखिए और तेल की धार . . .

(लिमटी खरे)

बहुत पुरानी कहावत है कि तेल देखिए और तेल की धार . . . तेल वाकई में बहुत जरूरी है मानव उपयोग के लिए। चाहे खाने का तेल हो या ईंधन के रूप में उपयोग में आने वाला तेल। हर तेल की अवश्यकता आज बहुत ज्यादा महसूस होती है। तेल की कीमतें आसमान छू रहीं थींइसी बीच वर्तमान हालातों में तेल के दाम जिस तेजी से गिरे हैंवह इतिहास में संभवतः पहला ही मोका होगा।

कहा जाता है कि जब तक धरती के अंदर ईंधन के रूप में प्रयुक्त होने वाला तेल है तब तक इसका व्यापार करने वालों को कभी ग्राहकों के लिए भटकना नहीं पड़ेगापर वर्तमान समय में हालात कुछ अलग ही दिख रहे हैं। अमेरिका में कच्चा तेल अब कौड़ियों के भाव भी नहीं बिक रहा हैइसका कारण यह है कि तेल के सारे भण्डार लवालब भरे हुए हैं।

इसके साथ ही तेल निकालने का काम बदस्तूर जारी है। तेल के उत्खनन के बाद उसका भण्डारण सबसे बड़ी समस्या बन रहा है। अगर तेल निकालने के क्रम को रोका गया तो एक बार फिर तेल निकालने की कवायद आरंभ करने के पहले बहुत लंबीमंहगी प्रक्रिया से गुजरना होगा।

हालात देखकर तो यही लग रहा है कि दुनिया भर में तेल निकालने और बेचने वालों की बादशाहत ही समाप्त हो गई है। दुनिया भर में तेल की कीमतें औंधे मुंह गिरी दिख रही हैं। कच्चे तेल के भाव कम होने पर खुशियां न मनाएं क्योंकि आम लोगों तक तेल सस्ती दरों पर नहीं पहुंचने वाला। वर्तमान में कच्चे तेल की कीमत लगभग 20 डालर प्रति बैरल बनी हुई है।

दरअसलदुनिया भर में टोटल लॉक डाउन के कारण तेल की खपत तेजी से कम हुई है। इसके कारण तेल निकालने के काम को कुछ समय तक स्थगित रखा जाना व्यवहारिक होगा। कहीं ऐसा न हो कि जो तेल निकाला जा रहा हैउसे रखने के लिए भी स्थान न बच पाए।

दुनिया के चौधरी अमेरिका को तेल के खेल को समझने की जरूरत है। कहीं ऐसा न हो कि टमाटरआलू आदि की तरह ही तेल को फेंकने पर मजबूर होना पड़े। अगर भण्डारण के लिए जगह ही नहीं बचेगी तब इस तरह की स्थितियां बनना स्वाभाविक ही माना जा सकत है।

भारत की अर्थव्यवस्था पर कोरोना का कोई असर नहीं पड़ेगाइस तरह के दावे करने वाले केंद्रीय मंत्रियों के द्वारा शायद कोरोना के संक्रमण को लेकर आंकलन सही तरीके से नहीं किया गया था। आज देश के बाजार के जो हालात हैंवे किसी से छिपे नहीं हैं। भारत की कंपनियों का बाजार भाव लगभग तीस फीसदी घट चुका है।

देश में सिर्फ दवा के सेक्टर की कंपनियों के लिए वर्तमान में बाजार ठीक ठाक माना जा सकता है। कोरोना का संक्रमण कब कम होगा कहा नहीं जा सकता है। इसी बीच अगर भारत की कंपनियों के भविष्य को देख जाए तो वर्तमान समय उनका शैशवकाल ही माना जा सकता है। इसलिए केंद्र सरकार को चाहिए कि इसके लिए उचित और माकूल कार्ययोजना अभी से तैयार कराना आरंभ किया जाए।

आप अपने घरों में रहेंघरों से बाहर न निकलेंसोशल डिस्टेंसिंग अर्थात सामाजिक दूरी को बरकरार रखेंशासनप्रशासन के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए घर पर ही रहें।

(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)

(साई फीचर्स)


----------------------


Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ