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टोटल लॉक डाउन में अपनी रक्षा स्वयं कीजिए

 

लिमटी की लालटेन 95

टोटल लॉक डाउन में अपनी रक्षा स्वयं कीजिए

(लिमटी खरे)

आप लगतार लगभग सवा माह से घरों में बंद थे। टोटल लॉक डाउन लागू है। कुछ स्थानों पर कर्फ्यू भी लगाया गया है। लोगों की सुविधा को देखते हुए टोटल लॉक डाउन में कुछ ढील के लिए देश भर के जिलों को रेडआरेंज और ग्रीन जोन में बांटा गया है। जिन स्थानों पर ढील दिए जाने की घोषणा की गईउनें से अनेक जगहों पर शासन प्रशासन के दिशा निर्देशों की अव्हेलना की बातें भी सामने आईं हैंयह दुखद और शर्मनाक माना जा सकता है।

जो कुछ भी हो रहा है वह सब आपके स्वास्थ्य को देखते हुए ही किया जा रहा है। केंद्र और सूबाई सरकारों ने जमीनी हालातों को देखते हुए ही कार्य योजना बनाकर सोच समझकर ही ढील के आदेश दिए हैं। लगातार 40 दिनों तक लॉक डाउन होने के बाद इस तरह की ढील देना आवश्यक प्रतीत हो रहा था।

देखा जाए तो सामाजिक और आर्थिक संरचना की ओर से भी इस तरह की छूट की मांग उठती दिख रही थी। लोगों की रोजमर्रा की जरूरत और जिंदगी को आसान बनाने के लिए इस तरह की छूट की दरकार भी महसूस की जा रही थी। रेडआरेंज और ग्रीन जोन में शर्तों के साथ छूट प्रदाय की गई है। सिर्फ कंटेनमेंट क्षेत्र में ही पूरी तरह की पाबंदियां लागू हैंयह जरूरी भी हो गया था।

चूंकि यह सब कुछ आम आदमी के स्वास्थ्य को देखकर ही किया जा रहा था। इसलिए इस तरह की रियायत देने का जोखिम सरकार के द्वारा उठाया गया है। आम आदमी को सरकार के प्रति इस तरह की रियायत के लिए आभार व्यक्त किया जाना चाहिएक्योंकि अगर इन रियायतों का अगर सम्मान हम नहीं करेंगे तो स्थितियों को एक बार फिर पुराने स्वरूप में आने में समय नहीं लगने वाला। देश की सियासी राजधानी दिल्ली जहां की गतिविधियों से समूचे देश में संदेश प्रसारित होता है में ही शारीरिक दूरी का मजाक साफ उड़ता दिखा।

दिल्ली सहित अनेक शहरों में शराब की दुकानें खोलने की छूट प्रदाय की गई है। शराब दुकानों में जिस तरह की भीड़ उमड़ रही है उससे निकलने वाले संदेश को समझना होगा। अनेक स्थानों पर पुलिस को बल का प्रयोग करने पर मजबूर भी होना पड़ा। जहां उल्लंघन होता दिखावहां प्रशासन को कड़ाई करने पर मजबूर होना पड़ा। कई जगहों पर होम डिलेवरी पर भी सहमति बनी है। जिस तरह का परिदृश्य दिख रहा है उससे तो यही प्रतीत हो रहा है कि देश के युवा नशे का गुलाम हो चुकी है।

बहरहालअब हमें खुद ही समझना होगा। हमें खुद ही नियम कायदों में रहने का अभ्यास करना होगा। किसाी भी महापुरूष या शास्त्र में यह नही लिखा है कि खुद को नुकसान पहुंचाओ। गौतम बुद्ध ने भी कहा था कि प्रकाशमान होकर स्वयं दीप बनो। सरकारों के द्वारा छूट की सीमाएं तय की जाएंगी। उसके बाद आपको ही तय करना है कि उस सीमा में आप इलास्टिक को कितना खींच समते हैंअर्थात कितनी कम से कम स्थितियों में आप अपना गुजारा कर साकते हैं। 

बाजार खुल रहे हैंहमें ही सावधानी रखना होगा कि हम भीड़ के रूप में एकत्र न हों। बाजार पर्याप्त समय के लिए खुल रहे हैंइसलिए हमें ही तय करना है कि सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कैसे कर पाएंगे। अपनी सुरक्षा हमें खुद ही करना है। स्वनिर्धारण हमें ही करना हैस्वनिर्धारणस्व सतर्कतास्व नियमन में बहुत ज्यादा ताकत होती है यह बात ध्यान रखना चाहिए। अगर हम इसी तरह नियम कायदों को हवा में उड़ाते रहेंगे तो पुलिस या प्रशासन हमें कब तक बख्शेंगे!

देखा जाए तो आज के समय की जरूरत और पाबंदी यही है कि हम भीड़ के रूप में एकत्र न हों। जब आपदा की घड़ी है तो हमें जिम्मेदार नागरिक की भूमिका में न केवल दिखना जरूरी है वरन उसका पालन भी हो रहा होयह जरूर दिखे। इस आपदा की घड़ी में हमें समस्या बनने के बजाए समाधान का हिस्सा बनने का प्रयास करना चाहिए। अगर हम यह ठान लें कि हम दो गज की दूरी का पालन सुनिश्चित करेंगे तो उसके बाद शायद ही लॉक डाउन की जरूरत आगे पड़े। सरकार भी इसे बढ़ाना नहीं चाहती पर लोगों के स्वास्थ्य को लेकर वह फिकरमंद है और यही कारण है कि सरकार के द्वारा इसे तीसरे चरण में भी लागू किया गया है। हम चाहते हैं कि लॉक डाउन का चौथा चरण न आए तो हमें अभी से ही इसकी तैयारी करना जरूरी हैअगर ऐसा हुआ तो समचा देश ही ग्रीन जोन का हिस्सा बना दिख सकता है।

आप अपने घरों में रहेंघरों से बाहर न निकलेंसोशल डिस्टेंसिंग अर्थात सामाजिक दूरी को बरकरार रखेंशासनप्रशासन के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए घर पर ही रहें।

(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)

(साई फीचर्स)

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