लिमटी की लालटेन 73
विकसित करना और प्रथक स्वास्थ्य तंत्र
(लिमटी खरे)
कोरोना कोविड 19 का संक्रमण जिस तरह फैल रहा है वह खतरनाक ही माना जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा भी इस मामले में लंबी रायशुमारी के बाद 21 दिन के टोटल लॉक डाऊन का फैसला लिया था। भारत की भौगोलिक एवं सामाजिक परिस्थितियों और कोविड 19 के अब तक नहीं मिल पाए प्रभावी ईलाज में सोशल डिस्टेंसिंग बरकरार रखना और टोटल लॉक डाऊन ही एक विकल्प के रूप में सामने आया है।
चीन के वुहान प्रांत से यह वायरस समूची दुनिया में फैला। इटली, अमेरिका और इग्लेंड जैसे विकासित देशों ने टोटल लॉक डाऊन पर फैसला लेने में लंबा समय बिता दिया, जिसके परिणाम आज सभी के सामने हैं। भारत में टोटल लॉक डाऊन काफी हद तक प्रभावी साबित हुआ है। भारत में इससे प्रभावितों की तादाद महज 06 हजार ही पहुंची है जो राहत की बात मानी जा सकती है।
टोटल लॉक डाऊन के साथ ही साथ सरकार को अब महामारी से कैसे निपटा जाए इस पर भी विचार करना बहुत जरूरी है। जानकारों का कहना है कि अप्रैल और मई में भी इसके संक्रमण की संभावनाओ ंसे इंकार नहीं किया जा सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी टोटल लॉक डाऊन के साथ ही साथ सामुदायिक स्वास्थ्य प्रयास अर्थात कम्यूनिटी हेल्थ एफर्टस करने पर बल दिया गया है।
भारत में अभी संभावित संक्रमित मरीजों के टेस्ट में हम विश्व में बहुत निचली पायदान पर हैं। इसके लिए टेस्टिंग किट को भी विपुल मात्रा में तैयार करवाना होगा ताकि संक्रमित मरीज का पता लगाया जाकर उन्हें स्वस्थ्य मरीजों से दूर रखने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जा सके, जिससे इसके प्रसार को थामा जा सके।
यह संकट का समय है, इस समय आरोप प्रत्यारोप करने के बजाए केंद्र और राज्य सरकारों को आपस में समन्वय बिठाते हुए आने वाले कम से कम छः माहों के लिए ठोस कार्ययोजना बनाए जाने की महती जरूरत है। इसके लिए सरकारी अस्पतालों को कैसे साधन संपन्न बनाया जाए इस पर विचार करना होगा। चिकित्सकों की कमी को कैसे दूर किया जाए इस बारे में भी विचार करने की आवश्यकता है। सभी सरकारी अस्पतालों में इंटेंसिव केयर यूनिट और वैंटीलेटर्स की उपलब्धता सुनिश्चित करना होगा। इसके लिए सैंट्रली आपरेटेड आक्सीजन सिस्टम, सक्शन के लिए उपकरण, संक्रमण को नियंत्रित करने वाले संसाधनों पर बल देना होगा।
टोटल लॉक डाऊन की अवधि में लगभग सभी निजि चिकित्सकों के द्वारा अपनी प्राईवेट प्रेक्टिस बंद कर रखी गई है। इसके अलावा छोटे शहरों के निजि अस्पताल भी बंद ही हैं। इन परिस्थितियों में सरकार को निजि अस्पतालों का अधिग्रहण आरंभ किए जाने की आवश्यकता है। धार्मिक, सामाजिक स्तर पर चलाई जाने वाली धर्मशालाओं को भी आईसोलेशन एवं क्वारंटाईन सेंटर्स के रूप में विकसित किया जा सकता है।
एक और बात जो उभरकर सामने आ रही है वह है चिकित्सकों, पेरामेडिकल स्टॉफ और नर्सेस के लिए मास्क, पीपीई, दस्ताने आदि की कमी। इसके विपुल उत्पादन के मार्ग भी प्रशस्त करने होंगे। अगर मरीजों की देखभाल में लगे कर्मचारी ही संक्रमित हो जाएंगे तब दुश्वारियों को बढ़ने से शायद ही रोका जा सके।
हर जिले में इस महामारी से निपटने के लिए बाकायदा दलों का गठन किया जाना चाहिए। इन दलों में सरकारी और निजि चिकित्सा विशेषज्ञों का शुमार किया जाना चाहिए। कोई भी निजि चिकित्सक शायद ही इस मामले में अपनी सेवाएं देने से इंकार करे। इटली का अगर उदहारण लिया जाए तो वहां चीन, क्यूबा सहित अन्य देशों से चिकित्सकों के दलों को बुलाना पड़ा।
कोरोना के लिए अभी दवा विकसित नहीं हो पाई है। कोरोना के संभावित संक्रमण और इसके संक्रमित मरीजों में इसका असर कम करने के लिए जिन दवाओं का प्रयोग हो रहा है उन दवाओं का उत्पादन बढ़ाए जाने की आवश्यकता है। इसके लिए भी सरकारों को प्रयास करने की जरूरत है। उम्मीद है देश इस महामारी पर विजय प्राप्त कर लेगा।
आप अपने घरों में रहें, घरों से बाहर न निकलें, सोशल डिस्टेंसिंग अर्थात सामाजिक दूरी को बरकरार रखें, शासन, प्रशासन के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए घर पर ही रहें।
(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)
(साई फीचर्स)
----------------------
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY