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यह समय है बच्चों को समय देने और क्रिएटिविटी बढ़ाने का

 

लिमटी की लालटेन 78

यह समय है बच्चों को समय देने और क्रिएटिविटी बढ़ाने का

(लिमटी खरे)

मम्मी या पापा अपनी परी या राजकुमार की हर इच्छा को पूरा करने के लिए ही दिन रात मेहनत करते हैं। आज की दौड़ती भागती दुनिया में बच्चों को पालकों के द्वारा समय नहीं दिया जा पा रहा है। कोरोना कोविड 19 नामक वायरस ने उन्हें एक मौका दिया है कि वे अपने बच्चों के साथ समय बिता सकें।

शालाओं के बंद रहने से ऑन लाईन पढ़ाई जारी हैपर इसमें भी बच्चों के तनाव में रहने की खबरें चिंता में डाल रहीं हैं। दरअसलबच्चों को मोबाईल की आदत तो पड़ चुकी है पर सोशल मीडिया और गेम्स तक ही वे सीमित हैं।

एक समय में आधी दुनिया पर राज करने वाले इग्लेण्ड के हार्ट इंग्लेण्ड फाऊॅडेशन के द्वारा किए गए एक सर्वे में यह बात उभरकर सामने आई है कि टच स्क्रीन या टेबलेट का अधिक प्रयोग करने से बच्चों की उंगलियों की मांसपेशियों का नैसर्गिक विकास नहीं हो पा रहा है। इसके चलते बच्चों को पैंसिल और पैन पकड़ने में भी कठिनाई होती दिख रही है। एक भारतीय मोबाईल कंपनी के द्वारा कराए गए सर्वे में यह बात निकलकर सामने आई है कि बच्चे दिन के 24 घंटे का एक चौथाई अर्थात छः घंटे मोबाईल पर बिता रहे हैं।

वैसे भी लंबे समय से मनोचिकित्सक भी इस बात को कहते आए हैं कि अगर बच्चे मोबाईल पर ज्यादा समय बिताएंगे तो उनमें चिड़चिड़ापनभूख न लगनानींद की कमी आदि साफ दिखाई देने लगेगी। इसी तरह की बातें एसोचैम के द्वारा कराए गए सर्वे में भी सामने आ चुकी हैं।

दरअसलवर्तमान समय में महज 08 से 13 साल तक के बच्चों के द्वारा फेसबुक और व्हाट्सऐप का उपयोग किया जा रहा है। यहां आश्चर्य की बात यह है कि जिन बच्चों के द्वारा सोशल मीडिया पर अपने अकाऊॅट बनाए गए हैंउन्हें उनके माता या पिता के द्वारा ही इसकी जानकारी देते हुए इसकी छूट प्रदान की गई है।

सोशल मीडिया से बच्चों के जुड़ने की कड़वी सच्चाई यह भी है कि बच्चे धीरे-धीरे आपसी प्रेमबंधुत्वसहानुभूति और मानवीय संवेदना जैसे सामाजिक मूल्यों का हास साफ दिखाई दे रहे हैं। इस आभासी संसार के विस्तार से सबसे अधिक प्रभावित होने वाला बच्चों का बचपन ही है।

बच्चों के लगातार आभासी दुनिया में रहने का दूसरा बड़ा नुकसान यह हुआ है कि जीवन में असफलता का सामना कर पाने की क्षमता उनमें पैदा नहीं हो पाई है और इस कारण उनमें धैर्य और संयम खत्म हो जाने से उनमें निराशा के भाव भी तेजी से घर कर रहे हैं। असफल होने पर बच्चे जल्द ही निराश हो रहे हैं।

वर्तमान में पूर्ण बंदीटोटल लाक डाऊनकर्फ्यू लगा हुआ है। इसके 21 दिन बीच चुके हैं। आप घरों पर हैंऔर आपकी परी और राजकुमार भीतब इन दिनों का उपयोग आपने किस तरह किया! अभी यह 03 मई अर्थात 19 दिन और चालू रहेगा। आज आवश्यकता इस बात की है कि आप अपने अंदर की क्रिएटिविटी को निखारें।

अपने अंदर जो प्रतिभाएं हैंउन्हें बाहर निकालें। अपने बच्चों के अंदर छिपी प्रतिभाओं को पहचानेंउन्हें नए खेल के बारे में बताएं। उन्हें चित्रकारी करने के लिए प्रेरित करें। यहां एक बात बताना लाजिमी होगा कि आज मोबाईल पर ऑन लाईन लूडो का जमकर चलन है।

आप चाहें तो लूडो और विलुप्त हो चुके अठ्ठू या अष्टाचंगा के बारे में बच्चों को बताएं। हमारी बेटी और बेटे को जब हमने अपने बाल्काल में इन खेलों को कैसे खेला जाता थायह बताया तो बच्चे आश्चर्य करने लगे। उनके द्वारा हमसे इमली के बीच लाने को कहाक्योंकि इससे ही गोटियां बनती थीं। इमली के बीजों को या तो पत्थर पर घिसा जाता था या फिर पत्थर से सावधानी से बीच से तोड़कर गोटियां बनाई जाती थीं।

आप भी अपने बच्चों के साथ इस तरह के खेल खेलेंउन्हें बताएं इन खेलों के बारे मेंदेखिए बच्चों के साथ खेल खेलकर आपको अपना बचपन याद आ जाएगा। अपनी उर्जा सोशल मीडिया पर नेताओं का समर्थन या विरोध कर जाया न करें। नेताओं कोसरकारों को अपना काम करने दें। व्यर्थ की बहस में समय और उर्जा जाया करने के बजाए क्रिएटिविटी को अपनाएंअपने बच्चों को इसे सिखाएं।

आप बच्चों के साथ हैंइसलिए समय का सदुपयोग करें। टोटल लॉक डाऊन के समाप्त होने के बाद आप व्यस्त हो जाएंगेबच्चों पर पढ़ाई का बोझ आ जाएगापर आज आप जो बच्चों को बताएंगेवह बात बच्चों को सदा याद रहेगी . . .

आप अपने घरों में रहेंघरों से बाहर न निकलेंसोशल डिस्टेंसिंग अर्थात सामाजिक दूरी को बरकरार रखेंशासनप्रशासन के द्वारा दिए गए दिशा निर्देशों का कड़ाई से पालन करते हुए घर पर ही रहें।

(लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)

(साई फीचर्स)


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