30 जनवरी 2020
अपनी बात
इसके पहले कि देश में कोरोना वायरस पहुंचे, सावधानी जरूरी!
(लिमटी खरे)
वायरस के हमलों की खबरें लगभग हर साल ही सामने आ रहीं हैं। नए नए प्रकार के वायरस अब लोगों के खतरे का सबब बने हुए हैं। वायरस का जन्म कहां से हो रहा है, इस बारे में शोध करने की महती आवश्यकता आज के समय में महसूस हो रही है। ग्लोबल वार्मिंग, ग्रीन हाऊस गैसेज के उत्सर्जन, प्रकृति से छेड़छाड़, जीवन शैली में असंतुलन आदि के चलते ही जलवायू परिवर्तन हो रहा है और इसके कारण ही नए नए वायरस अस्तित्व में आ रहे हैं। हम भले ही विकास की राह में आगे बढ़ने का दावा करें पर हकीकत यही है कि इस तरह के नए वायरस के खतरों के आगे भी चिकित्सा विज्ञान बेबस ही नजर आता है। हाल ही में चीन में कोरोना वायरस के कारण दुनिया भर में परेशानी खड़ी दिख रही है। कोरोना वायरस के संभावित खतरों को देखते हुए इसे एक महामारी के बतौर भी देखा जा रहा है।
दूसरी महाशक्ति बन चुके चीन के वुहान प्रांत से कोरोना वायरस के फैलने की खबर ने सनसनी फैला दी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा भी इस मामले में पूरी तरह संजीदगी दिखाई जा रही है। इस वायरस की रोकथाम की दिशा में अभी चारों ओर संतोष जनक प्रगति दिखाई नहीं देना, चिंता की बात ही मानी जा सकती है। कोरोना वायरस के जेनेटिक कोड के अध्ययन और विश्लेषण में एक बात उभरकर सामने आई है कि यह वायरस मानव को संक्रमित करने की क्षमता रखने वाले सार्स नामक वायरस से काफी हद तक मिलता जुलता है। यह मामला कितना गंभीर है इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के द्वारा भी इस वायरस के हमले को लेकर आपात बैठक बुलाई है।
चीन के वुहान शहर से यह वायरस फैला। वुहान शहर को बंद करा दिया गया है। यहां सार्वजनिक यातायात व्यवस्था को थाम दिया गया है। इस शहर के निवासियों को घरों में ही रहने और शहर को नहीं छोड़ने की सलाह भी दी गई है। चीन के अलावा जापान, अमेरिका, थाईलेण्ड सहित दक्षिण कोरिया में भी इस वायरस के संक्रमण की खबरें हैं। देश में इस वायरस के प्रवेश को रोकने के लिए राजधानी दिल्ली सहित आधा दर्जन से ज्यादा हवाई अड्डों पर थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई है, जहां चीन और हांगकांग से आने वाले यात्रियां की गहन जांच की जाएगी।
इसके पहले चीन में ही वर्ष 2002 - 2003 में सार्स वायरस का प्रकोप फैला था। कोरोना भी सार्स की तरह का ही एक वायरस माना जा रहा है। सार्स जब फैला था तब चीन की सरकार के द्वारा इस बात का लगातार ही खण्डन किया जाता रहा, पर इस बार चीन के द्वारा इस वायरस से इंकार नहीं किया गया है। पिछली बार सार्स के बारे में लगातार ही इंकार करने के चलते सार्स नामक वायरस दुनिभा भर के 34 से ज्यादा देशों में फैल गया था। इससे साढ़े सात सौ से ज्यादा लोग काल कलवित भी हुए थे।
विश्व स्वासथ्य संगठन इस मामले में संजीदा तो नजर आ रहा है, किन्तु डब्लूएचओ के द्वारा इस वायरस को लेकर दुनिया भर में आपात स्थिति लागू करने से इंकार कर दिया गया है। उसके द्वारा चीन में ही इमरजेंसी के जैसे हालात बताए जा रहे हैं। अभी यह तय नहीं हो पाया है कि यह वायरस कितना प्रभावशाली और खतरनाक है। एहतियातन दुनिया भर के देशों ने इसके बचाव के उपाय आरंभ कर दिए गए हैं। भारत सरकार भी काफी मुस्तैद दिख रही है। डेंगू, चिकन गुनिया आदि बीमारियों से लड़कर भारत का स्वास्थ्य तंत्र बहुत मजबूत हुआ है इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता है। इस वायरस से निपटने अभी तक किसी तरह के टीके को भी इजाद नहीं किया गया है।
इस वायरस से ग्रसित व्यक्ति को सर्दी जुकाम जैसे लक्षण हो सकते हैं। देश में विडम्बना यही है कि सर्दी जुकाम को आम तौर पर सामान्य बीमारी की तरह लिया जाता है। एक आंकलन के अनुसार सर्दी जुकाम होने पर विभिन्न तरह के टेस्ट कराने के बजाए लोग दवा की दुकानों पर जाकर दुकानदार की सलाह पर ही दवाईयां लेकर इससे निपटना बेहतर समझते हैं। इसका कारण यह है कि सरकारी अस्पतालों में लंबी कतारों से लोग बचना चाहते हैं तो दूसरी ओर निजि स्तर पर चिकित्सकों की मंहगी फीस इस सामान्य सी बीमारी में देना वे मुनासिब नहीं समझते हैं।
वर्तमान समय में चुनौति इसलिए भी गंभीर मानी जा सकती है क्योंकि कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज में सर्दी खांसी जैसे लक्षण ही दिखाई दे रहे हैं। इसलिए सर्दी खांसी या जुकाम होने पर योग्य चिकित्सक को अवश्य दिखाएं। इस बारे में सरकारों को चाहिए कि वे भी जागरूकता कैंपेन चलाए। वैसे तो साफ सफाई सदा ही रखी जाना चाहिए, पर इस वायरस के फैलने के बाद अब साफ सफाई पर विशेष ध्यान रखने की जरूरत है। इसके लिए अपने हाथों को साफ रखने की सबसे ज्यादा जरूरत है। कहा जा रहा है कि यह वायरस सी फूड से फैला है इसलिए जरूरत इस बात की है कि जहां तक हो सके, इससे बचा जाए।
देश के लिए चिंता की बात यह है कि वुहान शहर में देश के छः सौ से ज्यादा विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। नए साल के अवकाश के चलते अनेक विद्यार्थी तो भारत में ही थे, किन्तु अभी भी तीन सैकड़ा से ज्यादा विद्यार्थी वुहान में ही हैं। इस तरह की संक्रामक बीमारियों से बचने के लिए भारत सरकार के पास कोई ठोस कार्ययोजना नही है। यही कारण है कि हर साल देश में संक्रामक बीमारियों की जद में आने वाले और इसके चलते जान से हाथ धोने वाले लोगों की खासी तादाद भी है। शहरों में तो स्वास्थ्य के मामले में हालात ठीक ठाक ही हैं, पर ग्रामीण अंचलों में इसकी स्थिति काफी दयनीय ही मानी जा सकती है।
मेडिकल के जर्नल लैसेंट के द्वारा विश्व भर के 137 देशों में कराए गए सर्वेक्षण में भी इस बात को रेखांकित किया गया था कि भारत में हर साल इलाज के अभाव में दम तोड़ने वालों की तादाद 27 लाख है। यह आंकड़ा वाकई भयावह ही है। चार साल पहले तक यह आंकड़ा 16 लाख था। विश्व स्वास्थ्य संगठन का यह कहना भी महत्वपूर्ण है कि दुनिया भर में संक्रामक रोग पहले की अपेक्षा अब बहुत ही तेजी से फैल रहे हैं। पिछले छः दशकों से हर साल नई नई बीमारियों और वायरस का पता चलता जा रहा है। अब तक कोरोना विषाणु के बारे में छः प्रकार की जानकारी उपलब्ध थी, पर बुहान के बाद यह सातवीं तरह का मामला सामने आया है। संगठन के द्वारा पिछले पांच सालों में एक हजार से ज्यादा विभिन्न बीमारियों के फैलने की बात भी कही गई है। डब्लूएचओ के द्वारा उसके 193 सदस्य देशों को बीमारियों के प्रसार, प्रकृति, लक्षण आदि की जानकारी देने और इसके प्रतिरोधक टीके विकसित करने के लिए विषाणुओ के नमूनों के आदान प्रदान की बात भी कही गई है।
देश में आपदा प्रबंधन के लिए बाकायदा विभाग तो बने हुए हैं, पर ये शोभा की सुपारी ही बने नजर आते हैं। देश में फैलने वाली महामारियों की रोकथाम, उनकी पहचान, रोकने के तौर तरीकों आदि जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर हमारे पास आज भी कारगर रणनीति का अभाव साफ परिलक्षित ही होता दिखता है। देश में भले ही अब तक कोरोना वायरस का मामला प्रकाश में नहीं आया है पर इसकी रोकथाम के लिए जन जागृति फैलाने का काम सरकारों को आरंभ कर दिया जाना चाहिए। (लेखक समाचार एजेंसी ऑफ इंडिया के संपादक हैं.)
(साई फीचर्स)
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