Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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हम सब भारत के वासी हैं

 

हम सब भारत के वासी हैंईंट से ईंट जोड़कर हम

सपनों का महल बनाएंगेहम

सब  भारत के वासी हैं

जनगण मन हम गाएँगे.
वो पुष्प नहीं हम, जो सुबह खिलें

और शाम तलक कुम्हला जाएं

हम तो चंदन की लकड़ी हैं

हम जंगल भी महकाएंगे
हम सब भारत के वासी हैं

जन गण मन हम गाएँगे l l
वो नाव नहीं हम जो लहरों से

डरकर वापस हो जाएँ

हम तो सच्चे राहगीर हैं

पर्वत पे राह बनाएँगे
हम सब भारत के वासी हैं

जन गण मन हम गाएँगे l l
वो दीप नहीं हम, जो मंद हवा के

झोंको से भी बुझ जाए

हम तो सूरज, चाँद, सितारे बनकर

दुनिया को चमकाएँगे.
हम सब भारत के वासी हैं

जन गण मन हम गाएँगे l l
एक ही छत के नीचे रहते

एक हीं है परिवार हमारा

अब कोई ना रहेगा भूखा

हम मिल बाँटकर खाएँगे
हम सब भारत के वासी हैं

जनगण मन हम गाएँगे.                                   मनीष कुमार पाठक ‘संघर्ष

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