बस उन्हें देख रहा हूं दुनियां भुला के
बस उन्हें देख रहा हूं दुनियां भुला के
जो बैठे हैं मेरे ही पास नजरें झुका के ।
एक पल में ही तोड़ी मेरी सारी कसमें
निगाह अपनी मेरी निगाह से मिला के ।
मेरे इंतजार को लंबी उम्र अता कर के
उसे जाने क्या मिलता है मुझे यूं सता के ।
इश्क में दोहमते अब सब मेरे नाम पर हैं
वो तो निकल गए अपना दामन बचा के ।
ये जिंदगी इतनी बेरहम है कि मत पूछो
जाने कहां चली जाती है दामन छुड़ा के ।
जिनसे मांगी थी मोहब्बत की दुआ मैंने
वही छोड़ गए हैं पीठ में खंजर घुसा के ।
शाख से टूटा हूं तो अब कहां जाऊंगा ?
जहां चाहे वहां ले जाए ये हवा बहा के ।
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