पहले वक्त धीमे धीमे भागता था अब तेज़ी से भागता है। पहले हमारे पास चाँद, तारों, चिड़ियों और अपने तलवों को देखने का वक्त होता था अब नहीं होता।
अब सपने देखने के लिए आँखों को बन्द करने की ज़रूरत नहीं होती अब सपने हम खुली आँखों से देखते हैं।अफ़सोस यह सारे सपने डरावने हैं और हमारी नींदें सादी।
हमें अब तारीख़ें याद नहीं रहती महीनों के अंत का इंतज़ार ज़रूर रहता है। अजीब है मगर सच है अदालतें खुली रहें तो मुझे लगता है जीवन चल रहा है गोया मैं रोज़ गवाही दे रहा।
पहले मैं घंटों रुद्र के चमक नमक सुनता था कई बार मंत्रोच्चार सुनते हुए सो जाता था। अब सुनता हूँ तो बेवजह आँखें गीली हो जाती हैं इसलिए वायलिन सुनता हूँ।वायलिन सिर्फ़ बजता नहीं दुखों को समझता भी है।
मैं किताबें कम पढ़ता हूँ मुझे यह यक़ीन हो चला है कि कोई भी किताब हमें बचाने नहीं आई। हमने अब तक जो पढ़ा वह बेकार था किताबें हमें मनुष्य नहीं बना सकीं।
मैं वो नहीं हूँ जो मुझे होना था हम वो हैं जो हमें बना दिया गया।हम किसी युद्ध में पराजित उस योद्धा की तरह हैं जिसने अपने सारी हथियार खो दिये हैं और जो नहीं जानता कि वह जो दो जोड़ी आँखें उसकी प्रतीक्षा कर रहीं वह उन्हें कभी चूम पाएगा या नहीं ?
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