बसुरिया साँसों से बजती"(निर्गुण)
विष्णु पद छंद
टेक---बसुरिया
बसुरिया साँसों से बजती......2
काट छाट कर वन से लाए...
फिर आगी पजती....
बसुरिया साँसों से बजती......2
धीरे धीरे बेधे तन को
घिस घिस के मजती...
बसुरिया साँसों से बजती.....2(1)
रंगे चाहे जिसमें शिल्पी
रंग वही सजती...
बसुरिया साँसों से बजती.....2
नौसिखिए हैं जब जब बजाए
तब तब वो लजती....
बसुरिया साँसों से बजती.....2(2)
भूल गई सब निज पीणा को
राम भजन भजती...
बसुरिया साँसों से बजती.....2
सुर ग्यानी के होठ छुए तो
सब कुछ है तजती....
बसुरिया साँसों से बजती.....2(3)
मोहन श्रीवास्तव
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