Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

चारों तरफ तामसी ,प्रबृति का बोलबाला

 

चारों तरफ तामसी ,प्रबृति का बोलबाला

निशाचर समान इंसान आज हो रहे |

जीवहत्या नशाखोरी , पापकर्म , बेईमानी

बुरे कर्मों का बीज सब जगह बो रहे ||

नारियों पे अत्याचार, रोज होते बलात्कार

बेटियों को गर्भ में ही आज लोग खो रहे |

पाप कर्म देख देख ,और अमंगल वेष

सीधे सादे इंसान सब तरफ रो रहे ||

कवि मोहन श्रीवास्तव
http://kavyapushpanjali.blogspot.com/20…/…/blog-post_30.html

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ