चारों तरफ तामसी ,प्रबृति का बोलबाला
निशाचर समान इंसान आज हो रहे |
जीवहत्या नशाखोरी , पापकर्म , बेईमानी
बुरे कर्मों का बीज सब जगह बो रहे ||
नारियों पे अत्याचार, रोज होते बलात्कार
बेटियों को गर्भ में ही आज लोग खो रहे |
पाप कर्म देख देख ,और अमंगल वेष
सीधे सादे इंसान सब तरफ रो रहे ||
कवि मोहन श्रीवास्तव
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