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पर इनको देश लूटने पर

 

Mohan Srivastava Poet


16 फ़रवरी 2014 · संपादित  · · 

"पर इनको देश लूटने पर"

हालात देश का, देख-देख कर,
आंखों मे आंसू, आ जाता !
दर्द दिलों में, होता है,
और उजाले पर, अंधेरा छा जाता !!

कुर्सी पाने की, होड़ मे देखो,
नित जूतम-लातम होते हैं !
जातियता का, ज़हर घोलकर,
ए बहुत चैन की, नींद में सोते हैं !!

देश पर ध्यान, है कम इनका,
सदा वोटों के, गणित में उलझे रहते !
अपराध व, घोटाले करते जाते,
और निर्दोष होकर, ए छूटते रहते !!

एक आम आदमी के, गलती करने पर,
उसे हर तरह की, सजांए दी जाती !
पर इनको देश, लूटने पर ,आदर से,
विरोधी दलों मे, पनाह है मिल जाती !!

राजनीति के, ऐसे कुछ नेता,
जो देश का, खून पी रहे हैं !
लोगों मे, दहशत फ़ैलाकर,
वे खूब मजे से, जी रहे हैं !!

मोहन श्रीवास्तव (कवि)
 http://kavyapushpanjali.blogspot.in/2013/07/blog-post_8930.html





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