नागेन्द्र कुमार
परिवर्तित सामाजिक ब्यवस्था मे आज महिलाओं की भूमिका पूर्ववत नहीं रह गई है। आज की महिलाओं की गतिविधि रसोई और घर के काम काज तक ही सीमित नहीं है। ऐसी परिधि से निकल कर आज की नारी कुछ अलग करना चाहती है। इससे पहले कि हम महिला कमांडो ट्रेनर सीमा राव के बारे मे जाने उससे पूर्व देश की उन महिलाओं के बारे मे जानते हैं जिन्होने कामयाबी के बुलंदियों पर अपने होने का परचम लहराया। इनको प्रथम अथवा दूसरे स्थान जैसी श्रेणी मे बांटा नही जा सकता। सब अपने अपने क्षेत्र मे महान हैं।
अरुंधति राय---- श्रेणी विभाजन से हट कर हम याद करते हैं अरुंधति राय को जो देश की मशहूर लेखिका हैं। उन्होंने दिल्ली से आर्किटेक्ट की पढ़ाई कर अपने करियर की शुरूआत उन्होंने अभिनय से की। फिल्म ‘मैसी साहब’ में उन्होंने एक अहम भूमिका निभाई थी। इसके अलावा कई फिल्मों के लिये पटकथाएं भी लिखीं। 1997 में उन्हें उनके उपन्यास ‘गॉड ऑफ स्माल थिंग्स’ के लिये बुकर पुरस्कार से नवाजा गया ।
सुनीता विलियम्स – आप अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा के माध्यम से अंतरिक्ष में जाने वाली भारतीय मूल की दूसरी महिला है। वो गुजरात के अहमदाबाद से ताल्लुक रखती हैं। सुनीता ने एक महिला अंतरिक्ष यात्री के रुप में 195 दिनों तक अंतरिक्ष में रहने का विश्व कीर्तिमान स्थापित कर अपनी कार्य-कुशलता का परिचय दिया।
चंदा कोचर -- भारतीय उद्योग जगत और बैंकिंग के क्षेत्र में जाना माना नाम हैं। जिन्होंने अपनी मेहनत, विश्वास और लगन से पुरुष प्रधान बैंकिंग क्षेत्र में अपनी एक अलग पहचान बनाई। आईसीआईसीआई बैंक की सीईओ चंदा कोचर का नाम आज शक्तिशाली महिलाओं की सूची में शामिल हैं। मैनेजमेंट ट्रेनी की छोटी सी पोस्ट से बैंक के उच्चतम पद तक पहुंचने वाली चंदा की सफलता महिला सशक्तिकरण का एक आदर्श उदाहरण है।
मैरीकॉम -- महिला मुक्केबाजी में मैरीकॉम के मुक्के को भारत ही नहीं, पूरी
दुनिया मान चुकी है। लंदन ओलंपिक में कास्य पदक जीतने वाली मैरी कॉम बॉक्सिंग में पांच बार विश्व विजेता का खिताब भी हासिल कर चुकी हैं। बॉक्सिंग में देश का नाम रोशन करने के लिए भारत सरकार ने 2003 में उन्हें अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया। 2006 में उन्हे पद्मश्री से सम्मानित किया गया।
एकता कपूर बालाजी प्रोडक्शन कंपनी की हेड हैं। एकता ने टीवी की दुनिया ही बदल दी इसीलिए उन्हें टीवी क्वीन कहा जाता है। टीवी के साथ-साथ एकता अब फिल्मों का निर्माण भी करती हैं। उन्होंने कई सुपरहिट फिल्में दी हैं। जल्द ही उनकी फिल्म 'वंस अपॉन ए टाइम मुंबई मे दोबारा' रिलीज होने वाली है।
सुनीता नारायण – आप भारत की प्रसिद्ध पर्यावरणविद है। सुनीता नारायण सन 1982 से विज्ञान एवं पर्यावरण केंद्र से जुड़ी हैं। इस समय केंद्र की निदेशक हैं। वे पर्यावरण संचार समाज की निदेशक भी हैं। वे डाउन टू अर्थ नाम की एक अंग्रेजी पत्रिका भी प्रकाशित करती हैं जो पर्यावरण पर केंद्रित पत्रिका है। भारत में महिलाओं ने अपनी मेहनत और काबिलियत के दम पर सफलता के कई ऐसे मुकाम हासिल किए हैं जो हर किसी के लिए मिसाल हैं।
मेधा पाटकर -- आपको 'नर्मदा घाटी की आवाज़' के रूप में पूरी दुनिया में जाना जाता है। गांधीवादी विचारधारा से प्रभावित मेधा पाटकर ने 'सरदार सरोवर परियोजना' से प्रभावित होने वाले लगभग 37 हज़ार गांवों के लोगों को अधिकार दिलाने की लड़ाई लड़ी है। उन्होंने महेश्वर बांध के विस्थापितों के आंदोलन का भी नेतृत्व किया।
माधुरी दिक्षित ---- बॉलीवुड में धक-धक गर्ल के नाम से मशहूर माधुरी दीक्षित ने अपने दमदार अभिनय और डांस से बॉलीवुड पर कई सालों तक राज किया। शादी के बाद कुछ सालों के लिए विदेश में शिफ्ट हो गईं। और अब एक बार फिर वापस आने के बाद आजकल माधुरी सक्रिय हैं। छोटपर्दे पर कई शो में माधुरी का जलवा दिखता है।
उपर्युक्त महिला विरांगनाओं की तरह सीमा राव भी एक अदभुत जीवट वाली महिला है। इनकी तरह देश के हर इंसान का एक सपना होता है कि वो अपने जीवन में कुछ बने। कोई डॉक्टर बनना चाहता है तो कोई इंजीनियर, कोई फिल्म मेकिंग में जाना चाहता है तो कोई फ़ैशन इंडस्ट्री में रह कर अपने सपनों को जीना चाहता है। लेकिन ज़रा सोचिए अगर ये सारी खूबियां और ये सारे हुनर भगवान किसी एक इंसान को एक साथ दे दे तो क्या कहेंगे आप। जी हां, सीमा राव कुछ ऐसे ही चुनिन्दा लोगों में से एक हैं जिन्हें भगवान ने हर हुनर में पारंगत किया है। पेशे से तो सीमा एक महिला कमांडो ट्रेनर हैं लेकिन उनके अंदर के बाकी टेलेंट की अगर बात की जाए तो शायद शब्द कम पड़ जाएं। सीमा ट्रेनर होने के साथ-साथ एक डॉक्टर, स्कूबा डाइवर, फिल्म मेकर और एक मॉडल भी है। सीमा के पति मेजर दीपक ने उन्हें मार्शल आर्ट्स से रूबरू कराया था और बस तभी से उन्होने अपनी पूरी जिंदगी देश की सेवा के नाम कर दी। इतना ही नहीं सीमा को मिलिट्री मार्शल में आर्ट्स में ब्लैक बेल्ट प्राप्त है और वो अपने पति के साथ ही पिछले 2 दशकों से मिलिट्री में ट्रेनिंग दे रही हैं।अपने काम के प्रति हमेशा सजग रहने वाली सीमा अपने पिता का अंतिम संस्कार भी नहीं देख पायी थी। भारत की सबसे पहली महिला कमांडो ट्रेनर सीमा राव वाकई अन्य महिलाओं के लिए मिसाल है। यह आयरन लेडी सालों से इंडियन आर्मी के कमांडोज को ट्रेनिंग देती आ रही हैं। ये सिलसिला पिछले 20 साल से बदस्तूर जारी है। भारतीय जवानों को जब सीमा कमांडो ट्रेनिंग देती हैं, तो देखते ही बनता है।
सीमा राव देश की पहली महिला कमांडो ट्रेनर हैं। इस काम में उनके पति मेजर दीपक राव उनकी मदद करते हैं। सीमा कॉम्बेट शूटिंग इंस्ट्रक्टर हैं जो गेस्ट ट्रेनर के रूप में जवानों को ट्रेनिंग देती हैं। इन्होंने माउंटेनियरिंग और रॉक क्लाइम्बिंग में भी मैडल हासिल किए। फ्रीडम फाइटर रहे प्रोफेसर रमाकांत की बेटी सीमा ने क्राइसिस मैनेजमेंट कॉलेज से एमबीए की डिग्री हासिल की है। वे पीएचडी होल्डर भी हैं। यही नहीं ये सुपर वुमन मिस इंडिया वर्ल्ड की फाइनलिस्ट भी रह चुकी हैं। मार्शल आर्ट्स में ब्लैक बैल्ट हासिल कर चुकीं सीमा इंडियन पैरा स्पेशल फोर्सेज़, कमांडो विंग, विभिन्न अकादमियों, नेवी मारकोस मरीन कमांडो, एनएसजी, वायु सेना गरुड़, आईटीबीपी, पैरामिलिट्री और पुलिस के जवानों को प्रशिक्षण देती हैं।
शुरु शुरु मे सीमा और उनके पति दीपक को आर्थिक मंदी का सामना करना पड़ा था। लेकिन इसके बावजूद दोनो अपने मकसद से पीछे नहीं हटे। इस मंदी मे भी दोनो पति पत्नी (सीमाराव-दीपक) भारतीय सैनिकों को अवैतनिक कमांडो ट्रेनिंग देने के लिए देश के इस कौने से उस कौने तक भ्रमण करते रहे। अर्थ का अभाव, प्रतिकूल परिवेश के बावजूद सशस्त्र वाहिनी के जवानों को कमांडो ट्रेनिंग देने से पीछे नहीं हटी। इसी बीच सीमा को पितृ वियोग का सामना करना पड़ा ।
अपने मकसद को पूरा करने की लगन मे सीमा राव को क्या कुछ सहना नहीं पड़ा । मातृ पितृ वियोग के बीच भी सीमा राव ने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। सूत्रों के अनुसार सीमा राव अब तक सीमा राव 15 हजार सशस्त्र वाहिनी के जवानों को ट्रेनिंग दे चुकी है। ऐसी वीरांगना नारी को बार बार सैलूट।
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