Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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Bharat Maa Ki Vedna

 

 

धरातल पर तमाम देश है मगर भारत देश को ही हम माता के नाम से पुकारते है माता जो केवल अपने बच्चो के भला के बारे में ही सोचती है जिसका जीवन अपने बच्चे के इर्द-गिर्द ही सीमित रहता है जो अपने बच्चो पर सर्वस्व न्योछावर करने के लिए सदैव तत्पर रहती है भारत माँ जिसने हमें सब कुछ दिया है आज वो दर्द से कराह रही है उसके बच्चे उसको धर्म,भाषा,क्षेत्रीयता के नाम पर बाटने में लगे है भारत एक ऐसा देश है जिसको इश्वर का वरदान है यहा पर सारी ऋतू (गर्मी,सर्दी,वर्षा,वसंत), विविध फसले (रबी,खरीफ,जायद), धरातलीय विभिन्ताये (मैदानी,पहाडी,समुन्द्र,नदीया,मरूस्थल) पाई जाती है कहने का आशय यह है की इश्वर ने हमारे वतन को सारी नेमतो से नवाजा है माँ (भारत माता) जिसने कभी भी अपने बच्चो के साथ किसी भी प्रकार का भेदभाव अपने सारे संशाधनो के वितरण में नहीं किया सभी को एक समान और खुले दिल से प्यार दिया आज उसके बेटो ने ही उसका दिल छलनी कर दिया है वो आपस में रक्तपात कर रहे है माँ की बेटिया अपने ही घर में सुरक्षित नहीं है आज हमारे देश में महिलाओ पर हो रहे अत्याचार (कन्या भ्रूण हत्या,बलात्कार,दहेज़ हत्या) में बहूत तेजी दर्ज की जा रही है वो आज सवाल पूछ रही है की क्यों आजाद होकर भी हमने आजादी नहीं पायी माँ कुछ शिशु जो अपने ही उम्र के साथियों को स्कूल जाते हुए किसी होटल की खिड़की से अपने हाथो में लगी बर्तन माजने के लगी राख देखते है तो सोचते है की क्यों उनको हाथो में भी पेन और और कंधे पर बैग की बजाय टेबल साफ करने का कपड़ा है आज माता अपने घर में व्याप्त समस्याओ से व्यथित है अशिक्षा,गरीबी,बेरोजगारी,धर्माधता जैसी तमाम बीमारिया फैलती ही जा रही है घर के मुखिया समस्या को हटाने की बजाय ध्यान भटकाने में लगे हुए है विदेशी शासको से तो हमने मुक्ति पा ली लेकिन वर्तमान परिस्थिति में उनकी ही नीति अमल में लाई जा रही है फूट करो और राज करो आज हमारे राजनेता भी उसी का अनुसरण कर रहे है वो हमें धर्म,भाषा के नाम पर बाट कर अपने रोटिया सेक रहे है जिसमे वे काफी हद तक सफल होते दिख रहे है लेकिन उनकी यह गतिविधिया हमारे राष्ट्र को नुकसान पंहुचा रही है हमारा देश जो की ज्ञान का केंद्र रहा है आज शिक्षा के बाजारीकरण के दौर से गुजर रहा है आज हमारे देश में धर्म,राजनीती,शिक्षा सबसे चोखे धंधो में शुमार है आज संत के चोले में भूमाफिया,अपराधी घूम रहे है जो राजनेताओ के सरक्षण में फल फूल रहे है संत को इश्वर प्राप्ति का साधन माना जाता था जो सांसारिक प्रलोभनों को भुलाकर केवल और केवल इश्वर की साधना में लीन रहता था परन्तु वर्तमान में संत की परिभाषा बदल गयी है आज संत वो है जो लक्सरी वाहनों में चलता है जिसके साथ अत्याधुनिक हथियारों से लेस अंगरक्षक होते है जो टी.वी चैनलो के माध्यमो से अपने विचारो को जनता के सम्मुख रखता है हमारे देश में दो ही वर्ग मौज कर रहा है एक राजनेता दूसरा आधुनिक संत आज धर्म एक बड़े व्यवसाय के रूप में उभरा है जिसका आधुनिक संत व्यापारी है अत्यंत दुःख की बात है लेकिन यह कटु सत्य है की आज हम दीन-दुखियो को एक पैसा भी देने से कतराते है लेकिन धर्म के नाम पर लाखो का दान एकत्र हो जाता है समाज को राह दिखलाने वाले खुद ही राह से भटक गए है माँ तो वो है जो दूसरे के बच्चो को भी गले से लगती है माता यशोदा ने जिस प्रकार कन्हैया का लालन पालन किया वो इसका एक उदाहरण है भारत माँ ने भी समय समय पर पडोसी देशो से विस्थापितों को शरण दी है एक गीत सुना था बचपन में इंसानियत की डगर पर बच्चो दिखाओ चलके ये देश है तुम्हारा नेता (लीडर) तुम्ही हो कल के लीडर यानि लीड करने वाला एक ऐसा इन्सान जिसके पीछे जनता चले और कुछ ऐसे उदाहरण भी मिलते है जैसे लाल बहादुर शास्त्री जिन्होंने सारा जीवन देश की सेवा में लगा दिया और अपने लिए कुछ भी नहीं बचाया हमारे बुजुर्ग बताते है की पहले ऐसे विधायक/सांसद हुआ करते थे जो जनता के द्वार पर जाकर पूछते थे की आपकी क्या समस्या है वो थे सच्चे मायनो में जनसेवक आज तो लीडर बनते है अपने काले कारनामो को उजले वस्त्रो के पीछे छिपाने के लिए राजनेता संसद के बहार एक दुसरे का विरोध करते नजर आते है लेकिन जब उनके फायदे की बात आती है तो एक सुर में बोलते इसका ताजा उदाहरण सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिया गया फैसला जिसमे अपराधी को चुनाव लड़ने से रोकना था को संसद के भीतर सारे दल एकमत से संशोधित कर दिए, आर.टी.आई के दायरे से पार्टीयो का बाहर होना भी यही दर्शता है की आधुनिक राजनेता जनसेवा नहीं बल्कि स्वयमसेवा कर रहे है भारत माता के वीर सपूत जो की सीमा पर देश की रक्षा के लिए सर्वस्व न्योछावर कर रहे है उनके कफन तक में हमारे राजनेता दलाली खा रहे है आम जन के लिए बनने वाली योजनाओ का पैसा अफसर और बाबू खा रहे है आज भारत माँ अपने एक संतान को दूसरी संतान को सताता देख व्यथित है
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Najmun Navi Khan "Naj"

 

 

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