Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

चबूतरा

 

                                                  चबूतरा


चबूतरा, घर के बाहर का वो स्थान जहा मिट्टी को जमा कर कुछ उचाई तक समतल बना देते थे जो वर्तमान में विलुप्त हो चुका है एक ऐसा जमावट की जगह होती थी जिसमे खुशी और गम दोनों को बांटा जाता था शाम को मोहल्ले के लोग बैठ कर अपने सुखो और दुखो को आपस में साझा करते थे जटिल से जटिल समस्याओ का समाधान निकाल लेते थे कहकहो से गुलज़ार रहने वाला चबूतरा अब बस कहानियो में कही दफन हो गया है सामाजिक और धार्मिक सद्भाव का एक ऐसा  केंद्र बिंदू जिस पर मिलन होता था मुहर्रम की ताजिआ और सुन्दर काण्ड के पाठ का  बिना किसी भेदभाव और मन मुटाव के वर्तमान में तो दो त्यौहार एक दिन पड़ जाय तो प्रशासन के हाथ पाँव फूल जाते है और आम जनता की साँसे पूरा दिन शांति से निकल जाए इसमें ही अटकी रहती है देशवासिओ के आपसी विश्वास में कमी आती जा रही है उसके पीछे का एक प्रमुख कारण यह भी है की लोगो ने आपस में मिलना जुलना ना के बराबर कर दिया है अब लोग एक दूसरे के त्योहारों में भी शामिल नहीं होते है इस वजह से त्योहारों के मनाने के पीछे की वजह और इतिहास भी नहीं समझते है वर्तमान में लोग मोबाईल में फेसबुक और अन्य सामजिक मीडिया के आभासी जीवन में वक्त गुजार देते है पहले आमने सामने बैठकर एक दूसरे के चेहरों को पढ़ लिया करते थे और चेहरे की शिकन देखकर दुःख का अंदाजा लगा लेते थे और दुःख में भागीदारी कर सहारा दिया करते थे वो तकनीकी का अविकसित दौर देश और समाज का सुनहरा समय था वर्तमान में तकनीक का गलत इस्तेमाल मानवता को संकट में ��ाल दिया है मोबाईल का अधिक उपयोग स्वस्थ्य पर भी बुरा असर डाल रहा है शारीरिक गतिविधियां भी कम होती जा रहे है पहले खरीदारी के लिए चल कर बाजार तक जाते थे अब बिस्तर पर लेटे लेटे ही सामान का आर्डर प्रेषित हो जाता है बाजार जाने पर रास्ते में दो चार लोग मिल ही जाते थे और दुआ सलाम /हालचाल ले लिया जाता था इससे आस पड़ोस में क्या चल रहा है किस पर क्या विपत्ति आई है ज्ञात हो जाती थी और एक दुसरे की मदद का रास्ता खुलता था इससे आपस में प्रेम बना रहता था लोग सुख दुःख में एक दुसरे के साथ खड़े रहते थे मोबाइल ने एक बहुत बड़ी ना दिखने वाली दूरी बना दी है इस दूरी का सबसे ज्यादा फायदा राजनैतिक दल उठाते है और मनगढ़ंत बाते बनाकर समाज के बीच में दीवार उठाते है राजनैतिक दल अपने सत्ता लोलुपता में देश को दांव पर लगाते जा रहे है वो देश की एकता को धार्मिक/जातियों में बाँट कर अपना वोट बैंक बनाने में लगे हुए है अब जनता को जागरूक हो कर राजनेताओ के मंसूबो को कामयाब नही होने देना चाहिए 

----

नजमुननवीखान "नाज़"

Najmun Navi Khan "Naj"

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ