Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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चुनावी मौसम

 

 

प्रकति के बनाये हूये तीन मौसम हमे मिले जिन्हे हम सर्दी,गर्मी और बरसात के नाम से जानते है इनके अलावा ह्म इंसानो ने भी एक मौसम बनाया है जिसे हम सभी चुनावी मौसम के नाम से जानते है ये सबसे सुहाना मौसम होता है जिसमे ना कोई छोटा है ना कोई बड़ा देश के नागरिको की इस मौसम मे ना कोई जाति होती है ना कोई धर्म ना कोई अमीर होता है ना कोई गरीब सारे के सारे होते है तो बस वोटर चारो और वादो की फसल लहरा रही होती है हमारे देश के माननीय भी इस मौसम की आबो-हवा से उर्जा से लबरेज हो जाते है और एक दल से दूसरे दल मे कूद-फाद करने लगते है पाँच साल तक रीढ़ की हड्डी सीधी रखने वाले नेताओ की हड्डी झुकती है और परिणाम स्वरूप जनता के पैरो तक उनके हाथ पहूचने लगते है हमारे देश मे हर योग्य व्यकित के सेवानिवृत होंने की एक उम्र निर्धारित होती है लेकिन हमारे नेताओ के लिए ऐसा कोई प्रतिबंध नही होता है हमारे देश मे पढ़े-लिखे लोगो के लिए योजनाए अंगूठा टेक बनाते है हमारे देश मे जिसके पास कोई काम नही होता है वो नेता बन जाता है और कमाई के मामले मे बडो बडो को पीछे छोड़ देता है वर्तमान राजनेतिक परिद्र्श्य मे जो जितना बड़ा अपराधी है उसको उतना ही बड़ा पद मिलता है नेता बनने के लिए अपराधी होना क्वालीफाइग योग्यता बनती जा रही है लोकतंत्र अब नेतातंत्र मे बदलता जा रहा है वोटबेंक के लिए देश के टुकड़े किए जा रहे है चुनावी मौसम नियमत: तो पाँच साल बाद आता है लेकिन कभी-कभी ये उससे पहले भी आ जाता है राजनीती निजी स्वार्थो को पूरा करने का ही नाम है पाँच साल पहले आने वाली सिथ्ति तभी बनती है जब स्वार्थो की सिद्दी मे बाधा उत्प्न्न होने लगती है हमारे देश के नेता कभी भी व्रदावस्था को प्राप्त नही होते है 70-80 साल के नेता भी युवा दल् का प्रतिनिधित्व करते प्राय: नजर आ जाते है कुछ नेता जो जनता की बददुबाओ का असर या हो सकता है ईश्वरीय प्रकोप हो और वो चलने फ़िरने मे सक्ष्म ना हो वो भी सूचना प्राधोगिकी का इस्तेमाल करके राजनेतिक अखाड़े मे हट्टे कट्टे को भी पटखनी देते है एक चुनाव से दूसरे चुनाव के बीच तक एक दूसरे को फूटी आँख ना सुहाने वाले और शब्दो के कटीले तीर छोड़ने वाले मौके की नजाकत (दूसरे की जन ता मे बड्ती प्रतिष्ठा) देखकर ऐसे दिखते है जैसे गुड मे चिपका चीटा नेता के लिए जनता अपने आपसी संबधो मे खटास घोल लेती है नेता आपस मे मिलकर सत्ता का सुख भोगते है एक बार फिर से चुनावी मौसम ह्म सब के सामने है ह्मको दलगत भावना से उठ कर अपराधियो को संसद जाने से रोकना होगा तभी हमारा लोकतंत्र मजबूत बनेगा और जनता का क्ल्याण होगा निर्वाचन आयोग काफ़ी जागरुकता और सतर्कता बरतता है फिर भी अपराधी निर्वाचित होकर संसद पहूचते है आयोग को सारे प्रत्याशियो का आपराधिक रिकार्ड क्षेत्रीय समाचार पत्रो मे प्रकाशित करना चाहिए जिससे मतदाता सही चयन करके प्रत्याशियो को मत प्रदान कर सके |

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Najmun Navi Khan "Naj"

 

 

 

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