Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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Dharm - Kuchh Tathya

 

धर्म की स्थापना मानव को एक अनुशासित जीवन देने के लिए की गई थी क्योंकि प्रारंभ में मानव का जीवन खानाबदोशों का था वो किसी भी तरह के नियम कानूनों में न रह कर स्वच्छन्दता से अपनी जिन्दगी व्यतीत करता था धर्म के माध्यम से उसका जीवन व्यवस्थित करना ही धर्म के निर्माण का आधार था धर्म भौगोलिक परिस्थितियों पर पूर्णता आधारित है। अरब देश में जो धर्म बना उसमें पानी को बचाने पर विशेष बदल दिया गया क्योंकि वहां पर पानी की काफी किल्लत हाती थी। चूंकि वहां पर रेत की भरमार थी इस वजह से चन्द्र जो कि गर्मी में शीतलता प्रदान करता है को धर्म में प्रधानता दी गयी। वस्त्र पर भी जलवायु का असर पूरी तरह से नजर आता है वहां के वस्त्र शरीर का ज्यादातर हिस्सा ढके नजर आते हैं क्योंकि कम वस्त्र शरीर पर प्रतिकूल असर डालते, खान पान पर भी गौर फरमायें तो रेतीले स्थानों पर खेती करना लगभग असंभव नजर आता है एक यही प्रमुख वजह है कि खाने में जानवरों का मांस जो वहां आसानी से सुलभ है प्रयोग में लाया जाता है। एशिया ‘खासकर भारतीय उपमहाद्वीप’ पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि पानी की जहां अरब देशों में कमी थी तो उसके उलट यहां पर पानी की उपलब्धता बहुत ही ज्यादा है। नदियां, झीलें इत्यादि तमाम स्त्रोतों से पानी आसानी से सुलभ है तो इसका असर यहां के धर्मों पर भी दिखाई देता है और हम धार्मिक अनुष्ठानों, कर्मकाण्डों में पानी का जुड़ाव अहम और भरपूर नजर आता है। यहां के मौसम में अरब देशों से विलोमतः ठंडक, सुहानापन लिये है यही एक मूल कारण है कि वस्त्रों में अरब देशों की तुलना में कुछ कमी सी नजर आती है। पानी की उपलब्धता की वजह से खेती भी बढ़िया और विविधता पूर्ण ‘रबी, खरीफ, जायद’ होती है। जो भोजन में शाकाहार और विविधता लाती है। ऐसे ही तमाम भौगोलिक कारण हैं जिनकी वजह से धर्मों मे तमाम विभिन्नताएं मिलती हैं। एक बात जो बहुत अहम है कि अगर धर्माें के द्वारा मिलने वाली शिक्षा पर दृष्टि डाली जाये तो निष्कर्षतया यह बात सामने आती है कि धर्म बनाने के पीछे जो मूल तत्व है वो मानव के जीवन को एक सही राह दिखलाना। मसलन सच बोलना, ईमानदारी पूर्वक दायित्वों का निर्वाहन करना, गरीबों@असहायां की मदद करना, स्त्रियों का सम्मान करना, मेहनत से अपनी जीविका चलाना, नशे से दूरी बनाना आदि। पुराने समय में समय और संसाधनों का अभाव नहीं था यह भी एक प्रमुख कारण है कि धर्मों में यात्राओं का प्रमुख स्थान है। वर्तमान में धर्म का इस्तेमाल लोग अपना हित साधने में कर रहे हंै। अपने चारों ओर तमाम ऐसे उदाहरण दिखलाई देते हैं धार्मिक प्रायोजनों की आड़ में ट्ेनों में मुफ्त यात्रा करना, सहयात्रियों को परेशानी देना, क्या बिना मूल्य चुकाये की गयी धार्मिक यात्रा सफल होगी? धार्मिक आयोजनों के नाम पर सड़कों पर जाम लगाना, अस्त्र शस्त्र का प्रदर्शन करना यह कौन सा धर्म है? जाम की वजह से मरीजों की परेशानी, विद्यार्थियों का परीक्षा स्थल, कर्मचारियों को कार्यस्थल पहुंचने में बाधा उत्पन्न करना किस धर्म की शिक्षा है? मुफ्त बिजली का दोहन, ध्वनि प्रदूषण, जल प्रदूषण यह भी किसी धर्म की शिक्षा का हिस्सा नहीं हो सकता है। धर्म का सच्चा स्वरूप तो यह है कि घायलों@बीमारों को चिकित्सीय सुविधाएं दिलाने में मदद करना, भूखे को खाना, प्यासे को पानी पिलाना, मुसाफिर को मंजिल तक पहुंचने मे ंसहायता प्रदान करना, तन ढकने को कपड़ा दान देना और अशिक्षित को शिक्षित करना क्योंकि शिक्षित मनुष्य अपने साथ साथ आस पास के लोगों के जीवन में उजाला भरता है।

 

 

 

 


Najmun Navi Khan "Naj"

 

 

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