.कि शायद
यही शुरुआत हो नई ,
कि शायद
हो जाएं अंकुरित बीज फिर से ,
कि शायद
मुस्कराएं इंद्रधनुष फिर कोई ,
कि शायद
सहेजें गुलाब फिर से किताबों में ,
कि शायद
कोंपलें फूटने लगें फिर ,
कि शायद फिर से सहें हम दर्द
..सुखद अंत की तलाश में !!
Namita Gupta"मनसी"
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