Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

निःशब्द

 

नीरव शांति में
तुम और मैं
प्रकृति की गोद में
निःशब्द !
रहे बस बैठे हुए
मै तुम्हारी भावना के व्याकरण से -
वाक्य ले लूं |
अर्थ निकले या न निकले
कई कथा महसूस कर
करूँ शब्द से युद्ध और वह हारे |
मेरा स्नेह क्षितिज तक जा के
तुम्हे पुकारे
---- नंदिनी पाठक झा

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ