नीरव शांति में
तुम और मैं
प्रकृति की गोद में
निःशब्द !
रहे बस बैठे हुए
मै तुम्हारी भावना के व्याकरण से -
वाक्य ले लूं |
अर्थ निकले या न निकले
कई कथा महसूस कर
करूँ शब्द से युद्ध और वह हारे |
मेरा स्नेह क्षितिज तक जा के
तुम्हे पुकारे
---- नंदिनी पाठक झा
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