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Dr. Srimati Tara Singh
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तनहाइयाँ

 

भीड़ ने खींच ली
एक और लम्बी सांस
और तितर बितर हो गई
दिन तनहाइयाँ जी रहा है
कुछ तलाशता हुआ
एक आहट या कोई परछाई
कोई यथार्थ
शायद किसीको याद आ जाए
भीड़ के कुछ चेहरे
परिचित मुस्कान के साथ जीता चला जाए
चाहे जिन्दगी मुश्किल में हो
पर भीड़ हर एक दिल में हो
---- नंदिनी पाठक झा

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