तुम्हारे मन के तूफानी बारिश में-
मैं पड़ी हुई एक खुली किताब सी
मेरे भीतर गर्भित सार तत्त्व
क्या तुम पढ़ सकते हो बैठ कर ?
तुम्हे तूफान की लहर ले जाएगी उड़ाकर
तुम्हारी उत्सुकता और मेरे किताब के मध्य
या तो तूफान रहेगा या स्वयं तुम या दिखलाने के लिए सार गर्भिता-
मुझे तुम्हारी प्रकृति से करना पड़ेगा युद्ध
और मनोनुकूल मौसम का निर्माण कर करनी पड़ेगी एक रचना
जिस प्रक्रिया में -
अपने ह्रदय के गर्भ में नए नए मैं ज्ञान पा लूं और प्रसव सी पीड़ा सहकर
नया नया मै शब्द निकलूं ||
---- नंदिनी पाठक झा
Powered by Froala Editor
LEAVE A REPLY