अगर ऐसे ,हदों के पार ,ये सरकार जायेगी ।।
तो फिर कश्ती गरीबों की कैसे उस पार जायेगी ।।
जमीं माँ है ,अगर इस पे, लड़ोगे तो समझ लो ये ।।
दो बेटों की, लड़ाई में , कहीं माँ , हार जायेगी ।।
तेरा ये प्यार में लड़ना झगड़ना ठीक था लेकिन ।।
किसे मालूम था ,के दूर तक तक़रार जायेगी ।।
सिकंदर के वे खाली हाथ हमको ये बताते हैं ।।
लड़ो मत तुम नहीं तो जिंदगी बेकार जायेगी ।।
मुहब्बत ,आशिक़ी ये शायरी -ओ- बन्दिगी मेरी ।।
वहीँ तक है जहां तक वो निगाहे- यार जायेगी ।।
Narender Sehrawat
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