Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बात आई है, समझ में कुछ , इशारों से हमें

 


बात आई है, समझ में कुछ , इशारों से हमें ||
धोखा, मिलने वाला है अब , राजदारों से हमें ||

 

 

मज़हबों के, दायरों में , कैद हैं सब जाविये ||
सड़ गया पानी बचा लो इन किनारों से हमें ||

 

 

आज ये फरमान हाकिम ने सुनाया शहर में ||
अब मिलेगा हक़ खड़े हो कर कतारों से हमें ||

 

 

गर्दिशें फिर, साजिशें , कर रही हैं, देख लो ||
आज , ये पैगाम आया है , सितारों से हमें ||

 

 

ज़ज्ब कर सकते नहीं कह भी नहीं सकते उसे ||
इक शिकायत सी , रही है जो , बहारों से हमें ||

 

नरेन्द्र सहरावत

 

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