Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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बग़ावत

 

लेने आया है मुझे ,सिपहसालार ,नादान हाकिम का !!
दार -ओ -रसन है तैयार ,सुनो ये फ़रमान हाकिम का !!

 

(हाकिम =हुक्मरान ,राजा ** दार -ओ- रसन=फांसी का तख्ता और रस्सी )

तअज्जुब है भीड़ , खुद को आवाम कहती है !!
ग़ुलाम हो ,है ज़बीं पे तुम्हारी ,निशान हाकिम का !!

 

(ज़बीं =माथा )

मगर मैं बागी हूँ , कह दो जाके उसको तुम !!
आके चीर दे सीना मेरा , तीर -कमान हाकिम का !!

 

हमको कब मंज़ूर है , ये भीख की आज़ादी !!
कहो , निकाले अभी ,जो है अरमान हाकिम का !!

 

हुआ है बन्दोबस्त ,मेरी तक़य्युद का 'नासेह ' मगर !!
अब हुआ है पहरेदार मेरा , पासबान हाकिम का !!

 

तक़य्युद =कैद ,*** पासबान=पहरेदार )

हम गर्दनकसों को परवाह क्या , अपनी जानों की !!
तुम देखना खाली तो नहीं ,शमशान हाकिम का !!

 

हम जब भी उठाएंगे , अपनी आवाज़ कब्र से !!
कापं उठेगा हर बार , जिस्म -ओ -जान हाकिम का !!

 

सुना है कि गिर रही है , दिवार किले की !!
सुना है बिखर रहा है , गुमान हाकिम का !!

 

तक़दीरे -सुखन बनाने वाले , तो जायां हो गए !!
उधार के पन्नों पे लिखा है , 'दीवान' हाकिम का !!

 

(तक़दीरे -सुखन=साहित्य की किस्मत )

ज़ेर -ऐ -ज़मीं , हम कहां ख़ामोश बैठेगे यारो !!
देखना तुम चीखेगा , आस्तीं लहूलुहान हाकिम का !!

 

 

नरेन्द्र सहरावत

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