Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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देखो गहरे दरिया में गोते खाती नाव

 

देखो गहरे दरिया में गोते खाती नाव \\
जिन्दगी का राज़ सबको बताती नाव \\

 

कभी मचलती तो कभी इठलाती नाव \\
गुस्ताख़ लहरों से ज़बान लड़ाती नाव \\

 

ये दुनिया एक बहता दरिया, और तू \\
कभी आती नाव तो कभी जाती नाव \\

 

जो बन्द मकानों में दफ़न हैं ,देख लें \\
खुले आसमां के नीचे हवा खाती नाव \\

 

किनारा बनी मंज़िल पानी हुआ रस्ता \\
दरिया तेरी दुनिया, पतवार साथी नाव \\

 

 

 

नरेन्द्र सहरावत

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