गली में ,हमें यूँ ,इशारा ,करे वो //
सभी को लगे के पुकारा करे वो //
अभी तो लगाया सभी को गले से //
अभी क्यूँ सभी से किनारा करे वो //
मुहोब्बत, हुई के, कयामत हुई ये //
कहो के ,नसीबा ,सवारा ,करे वो //
हमें तो जलाया जहां भर के गम ने //
ख़ुशी से ,गुलों का ,नज़ारा ,करे वो //
यहाँ से वहाँ तक धुआँ ही धुआँ है //
कभी तो जला कर शरारा करे वो //
नरेन्द्र सहरावत
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