Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
Administrator

गली में ,हमें यूँ ,इशारा ,करे वो

 

गली में ,हमें यूँ ,इशारा ,करे वो //

सभी को लगे के पुकारा करे वो //


 


अभी तो लगाया सभी को गले से //

अभी क्यूँ सभी से किनारा करे वो //


 


मुहोब्बत, हुई के, कयामत हुई ये //

कहो के ,नसीबा ,सवारा ,करे वो //


 


हमें तो जलाया जहां भर के गम ने //

ख़ुशी से ,गुलों का ,नज़ारा ,करे वो //


 


यहाँ से वहाँ तक धुआँ ही धुआँ है //

कभी तो जला कर शरारा करे वो //


 


 


नरेन्द्र सहरावत

Powered by Froala Editor

LEAVE A REPLY
हर उत्सव के अवसर पर उपयुक्त रचनाएँ