Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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इसे भी , चाल चलने दो

 

इसे भी , चाल चलने दो ।।
हवा को रुख बदलने दो ।।

 

नया सूरज उगेगा फिर ।।
ज़िगर में आग जलने दो ।।

 

मुझे तस्कीन मत दो; जो ।।
उबलता है , उबलने दो ।।

 

तलातुम, जलजले, तूफां ।।
ज़मीं को भी मचलने दो ।।

 

तमन्ना ,आरज़ू , हसरत ।।
न रोको तुम,निकलने दो ।।

 

अगर जाते हो तो जाओ ।।
मुझे कुछ तो सँभलने दो ।।

 

 

 

Narender Sehrawat

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