जूँ मुददत से मेहमां कोई घर में ठहरा है !!
यूँ अश्क़ कोई उसकी चश्मे-तर में ठहरा है !!
क़ानून ख़ुदा का बदलाव है गाफ़िल ! देख !!
ठहराव भी जाके, तगय्युर में ठहरा है !!
आने वाले कर ज़रा सी शीताबी तू !!
इन्तजार में तेरे कोई सफ़र में ठहरा है !!
ठहरी-ठहरी सी नज़र ये मायूस सा चेहरा !!
कोई तो है, जो यूँ तसव्वुर में ठहरा है !!
दूर वो ढलता सूरज, वे लहराते गेसू !!
कैसा इशारा है, जो मंज़र में ठहरा है !!
तगय्युर= change
शीताबी= जल्दी
नरेन्द्र सहरावत
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