कहीं हल्का-ऐ-दिल में वो अभी आबाद रहता है ।।
यहीं है इक वजह, के ज़िन्द थोड़ा, शाद रहता है ।।
अदायें थी जफ़ायें थी ,खतायें थी सितम भी थे ।।
मुझे कुछ ना, बताओ तुम, मुझे सब याद रहता है ।।
हमीं से ये , मुहब्बत है , हमीं से ये , इबादत है ।।
चलो फिर ,देखते हैं, क्या हमारे , बाद रहता है ।।
बनाओ ना यहां तुम घोंसला इस पेड़ पर पंछी ।।
तुम्हें मालूम भी है , के यहीं सैय्याद रहता है ।।
भले जंज़ीर , मेरे पाँव में , तू डाल दे हाकिम ।।
मेरे अंदर मगर जो शख़्स है आज़ाद रहता है ।।
Narender Sehrawat
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