Swargvibha
Dr. Srimati Tara Singh
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क़त्ल होने से बचा लो ग़र ये सर तो आ जाओ ।।

 

क़त्ल होने से बचा लो ग़र ये सर तो आ जाओ ।।
एक भी उम्मीद हो बाकी अगर तो आ जाओ ।।

 

ये मुहब्बत है इसे आसां न समझो तुम वाइज़ ।।
दांव पे जो रख सको जानो जिगर तो आ जाओ ।।

 

लोग सज़्दे में , इबादत में , बुलाते हैं तुम्हें ।।
हो दुआ में कुछ,हमारी भी असर तो आ जाओ ।।

 

अब मुझे तो कुछ , पता मालूम मेरा है नहीं ।।
हाँ अगर तुमको चली है कुछ खबर तो आ जाओ ।।

 

हम फ़क़ीरों को , अलग अंदाज़ देता है ख़ुदा ।।
चल सको जो बस्ती बस्ती दर ब दर तो आ जाओ ।।

 

 

 

Narender Sehrawat

 

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