क़त्ल होने से बचा लो ग़र ये सर तो आ जाओ ।।
एक भी उम्मीद हो बाकी अगर तो आ जाओ ।।
ये मुहब्बत है इसे आसां न समझो तुम वाइज़ ।।
दांव पे जो रख सको जानो जिगर तो आ जाओ ।।
लोग सज़्दे में , इबादत में , बुलाते हैं तुम्हें ।।
हो दुआ में कुछ,हमारी भी असर तो आ जाओ ।।
अब मुझे तो कुछ , पता मालूम मेरा है नहीं ।।
हाँ अगर तुमको चली है कुछ खबर तो आ जाओ ।।
हम फ़क़ीरों को , अलग अंदाज़ देता है ख़ुदा ।।
चल सको जो बस्ती बस्ती दर ब दर तो आ जाओ ।।
Narender Sehrawat
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