कोख़-ऐ-मुस्तक़बिल में जाने क्या छुपा हुआ है \\
वो कौन सा हक़ है, जो मुझसे, ना अदा हुआ है \\
नाला उठा था, कि कहीं से, इक हिचकी आ गई \\
तब से, अटका है ये हलक में, कहीं रुका हुआ है \\
कोख-ऐ मुस्तक़बिल = भविष्य के गर्भ में
Narender Sehrawat
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