मैंने छूकर ,देखें हैं ,किनारे खाब के || (खाब को पढ़ते हुए ख्वाब समझा जाए )
कभी अपने , कभी तुम्हारे खाब के ||
तेरे सीने में अपनी तस्वीर देखता हूँ ||
बड़े खूबसूरत हैं ,ये नज्जारे खाब के ||
तेरा कनखियों से ,देखकर शरमाना ||
हौसलें बढ़ा देते हैं ,ये इशारे खाब के ||
आरज़ू ,ना ,जुस्तजू है इन आँखों में ||
किसने तोड़े हैं , ये सितारे खाब के ||
देखलो, मिल लो फिर मैं रहूँ ना रहूँ ||
हम ठहरे आख़िर ,कोई बंजारे खाब के ||
हकीक़त से मिलके जाना ऐ !जिन्दगी ||
खाबों से कब होते हैं ,गुजारे खाब के ||
Narender Sehrawat
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